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चंद्रयान-3 की चांद पर दूसरी बार सफल लैंडिंग, 40cm तक उछला और की सॉफ्ट landing

नईदिल्ली

चंद्रयान-3 की चांद पर एक बार फिर से लैंडिंग हुई हैं। इसरो ने सोमवार को यह जानकारी दी। दरअसल विक्रम लैंडर को पहले चांद की सतह से 40 सेंटीमीटर ऊपर उठाया गया और एक बार फिर से उसकी सुरक्षित लैंडिंग कराई गई। इसरो ने एक्स पर जानकारी दी, 'विक्रम की चांद पर फिर से सॉफ्ट लैंडिंग हुई है। अपने मिशन के उद्देश्यों से भी आगे विक्रम काम कर रहा है। उसने एक और सफल प्रयोग को अंजाम दिया है। विक्रम लैंडर का इंजन एक बार फिर से स्टार्ट हुआ और वह चंद्रमा की सतह से 40 सेमी ऊपर उठा। फिर से 30 से 40 सेमी की दूरी पर सॉफ्ट लैंडिंग की।'

इसरो का कहना है कि विक्रम की दोबारा सॉफ्ट लैंडिंग होना इसलिए अहम है क्योंकि इससे मिशन के सैंपल लेकर लौटने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस बीच चांद पर एक बार अगले एक से दो दिन में अंधेरा छाने वाला है। फिर लैंडर को अगले 15 दिन अंधरे में गुजारने होंगे। दरअसल चांद पर एक दिन धरती पर 15 दिनों के बराबर होता है। 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान की लैंडिंग हुई थी। उस दौरान चांद पर दिन था और सूरज की रोशनी थी। इसरो के जानकारों का कहना है कि चांद पर लैंडिंग के लिए ऐसा वक्त चुना गया था, जब दिन की शुरुआत हुई थी। इसका मकसद यह था कि अगले 15 दिनों तक विक्रम को मौका मिल सके और चंद्रमा की कुछ जानकारी जुटाने के लिए वक्त मिल पाए।

क्या अंधेरा छंटने पर फिर ऐक्टिव होगा चंद्रयान?

एक अहम सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि यदि चंद्रयान दिन में ही काम करता है तो फिर दोबारा जब चांद पर दिन होगा तो वह दोबारा ऐक्टिव हो सकेगा। इसरो के सूत्रों का कहना है कि चंद्रयान के लैंडर और रोवर में सोलर पैनल लगे हैं, जो सूरज की रोशनी में चलते हैं। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें सूर्य का प्रकाश मिले। यदि सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता है तो उनके सोलर पैनल कुछ ही घंटे चल सकेंगे। हालांकि यह कन्फर्म नहीं है कि दोबारा दिन होने पर वे सक्रिय होंगे या नहीं। ऐसा होता है तो इसरो के लिए यह भी एक बड़ी उपलब्धि जैसी होगी।

अंतरिक्ष एजेंसी ने लिखा, ‘‘महत्व क्या है? : इस प्रक्रिया से भविष्य में ‘सैंपल' वापसी और चंद्रमा पर मानव अभियान को लेकर आशाएं बढ़ गई हैं। ‘विक्रम' की प्रणालियां ठीक तरह से काम कर रही हैं और वे ठीक हालत में हैं, लैंडर में मौजूद रैम्प और उपकरणों को बंद किया गया और प्रयोग के बाद पुन: सफलतापूर्वक तैनात किया गया।'' भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के ‘विक्रम' लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था। भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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