राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

भारत: दुनिया की वैक्सीन फैक्ट्री, जेनेरिक दवाइयों का ग्लोबल हब — एस. जयशंकर

नई दिल्ली 
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर बायोलॉजिकल वेपन्स कन्वेंशन (बीडब्लूसी) 50 कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान भारत की भूमिका के बारे में बताया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत दुनिया के 60 फीसदी वैक्सीन बनाता है और 20 फीसदी जेनेरिक दवाइयां सप्लाई करता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "मैं आज आपसे कुछ बातों पर गौर करने की गुजारिश करता हूं, एक, भारत दुनिया की 60 फीसदी वैक्सीन बनाता है। दो, भारत दुनिया की 20 फीसदी से ज्यादा जेनेरिक दवाइयां सप्लाई करता है, और अफ्रीका की 60 फीसदी जेनेरिक दवाइयां भारत से आती हैं। तीन, भारत में लगभग 11,000 बायोटेक स्टार्टअप हैं, जो 2014 में सिर्फ 50 थे। 

अब यह दुनिया भर में तीसरा सबसे बड़ा बायोटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम है। चार, डिजिटल हेल्थ में बड़ी तरक्की के साथ हमारा हेल्थकेयर इन्वेस्टमेंट तेजी से बढ़ा है। पांच, हमारा रिसर्च नेटवर्क: आईसीएमआर, डीबीटी लैब्स, एडवांस्ड बीएसएल-3 और बीएसएल-4 सुविधाएं, वे कई तरह के जैविक खतरों का पता लगा सकते हैं और उनका जवाब दे सकते हैं।" उन्होंने कहा कि भारत के मजबूत प्राइवेट सेक्टर ने इसे आगे बढ़ाया है। इसने प्रोडक्शन बढ़ाने, दबाव में इनोवेट करने और ग्लोबल आउटरीच मैनेज करने की क्षमता दिखाई है। कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने वैक्सीन मैत्री शुरू किया। वैक्सीन मैत्री का मतलब है वैक्सीन फ्रेंडशिप, जिसे हमने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से शुरू किया और 100 से ज्यादा कम विकसित और कमजोर देशों को लगभग 300 मिलियन वैक्सीन डोज और मेडिकल मदद दी। इनमें से कई मुफ्त थीं। 

इसका संदेश साफ था कि जब इतने बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ता है, तो एकजुटता जान बचाती है। भारत हमेशा एक भरोसेमंद वैश्विक साझेदार रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत एक जिम्मेदार अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में, संवेदनशील और दोहरे उपयोग वाले सामान और तकनीक के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है और इस मामले में हमारा एक अच्छा रिकॉर्ड है। भारत ऐसे सामान और तकनीक के निर्यात को नियंत्रित करता है, जो परमाणु, जैविक, रासायनिक या अन्य विनाशकारी हथियारों के विकास में उपयोग हो सकते हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1540 को लागू करने के लिए एक मजबूत कानूनी और नियामक प्रणाली स्थापित की है। यह प्रस्ताव सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार को रोकने और उनके विकास के लिए सामग्री और तकनीक के निर्यात को नियंत्रित करने के लिए है।

उन्होंने कहा कि अब, भारत न सिर्फ बीडब्ल्यूसी और सीडब्ल्यूसी की बहुपक्षीय संधियों का एक पार्टी है, बल्कि तीन बहुपक्षीय मुख्य एक्सपोर्ट कंट्रोल रिजीम, वासेनार अरेंजमेंट, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (एजी) का भी एक सक्रिय सदस्य है। ऑस्ट्रेलिया समूह इस कॉन्फ्रेंस के लिए सबसे जरूरी है क्योंकि यह दोहरे उपयोग वाले केमिकल्स, जैविक सामग्री (बायोलॉजिकल मटीरियल) और उससे जुड़ी चीजों पर नियंत्रण से जुड़ा है। इस साल ऑस्ट्रेलिया समूह की 40वीं वर्षगांठ है और हमें खुशी है कि एजी के लोग हमारे साथ हैं।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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