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मप्र सिविल सेवा परीक्षा : 1.83 लाख उम्मीदवारों के लिए महज 110 पद, युवा नाराज

इंदौर-मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की आयोजित राज्य सेवा परीक्षा के जरिये होने वाली भर्ती के घटते पदों को लेकर बेरोजगार युवाओं ने नाराजगी जताई है।युवाओं की मांग है कि सूबे में बड़ी तादाद में खाली पड़े प्रशासनिक ओहदों के मद्देनजर इस भर्ती के पदों की तादाद को बढ़ाकर कम से कम 500 किया जाना चाहिए जो पिछले पांच सालों में सबसे बड़ी गिरावट के साथ इस बार महज 110 पर सिमट गई है।अधिकारियों ने बताया कि 2019 की राज्य सेवा परीक्षा 571 पदों, 2020 की राज्य सेवा परीक्षा 260 पदों, 2021 की राज्य सेवा परीक्षा 290 पदों, 2022 की राज्य सेवा परीक्षा 457 पदों और 2023 की राज्य सेवा परीक्षा 229 पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की गई थी।उन्होंने बताया कि 2024 की राज्य सेवा परीक्षा कुल 110 पदों पर भर्ती के वास्ते आयोजित है जिसके तहत 23 जून को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा में 1.83 लाख उम्मीदवार शामिल होंगे। इनमें उप जिलाधिकारी (डिप्टी कलेक्टर) के 15 पद और पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के 22 पद शामिल हैं।

इंदौर का भोलाराम उस्ताद मार्ग क्षेत्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों का बड़ा केंद्र है जहां कई कोचिंग संस्थान और छात्रावास संचालित होते हैं। इस क्षेत्र में आकाशदीप (30) अपने परिवार से दूर रहकर पिछले छह साल से राज्य सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कड़े मुकाबले वाली राज्य सेवा परीक्षा के जरिये होने वाली भर्ती के लिए महज 110 पद बेहद नाकाफी हैं। इसमें कम से कम 500 पद तो होने ही चाहिए थे।’’राज्य सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के अगुवा आकाश पाठक ने कहा, ‘‘हमारी मांग पर एमपीपीएससी ने हमें लोकसभा चुनाव से पहले भरोसा दिलाया था कि वह राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों को पत्र लिखकर सिविल सेवा परीक्षा के तहत भर्ती के पदों की तादाद बढ़ाने की कोशिश करेगा, लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी मांग अब तक पूरी नहीं की गई है।’

पाठक ने दावा किया कि राज्य में दो से तीन लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं जिनमें डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी के उच्च प्रशासनिक पद भी शामिल हैं।एमपीपीएससी के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) रवींद्र पंचभाई ने कहा,‘‘सरकारी विभाग हमसे जितने पदों पर भर्ती के लिए कहते हैं, हम उतने पदों के लिए राज्य सेवा परीक्षा का विज्ञापन जारी करते हैं।’’उन्होंने हालांकि कहा कि विज्ञापन जारी होने के बाद भी अगर सरकारी विभाग एमपीपीएससी से कुछ और पदों पर भर्ती की मांग करते हैं, तो राज्य सेवा परीक्षा के प्रारंभिक दौर का परिणाम आने से पहले तक इन अतिरिक्त पदों को नियमों के मुताबिक भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है।राज्य सेवा परीक्षा के जरिये होने वाली भर्ती में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के मसले के कारण लम्बे समय से बड़ा कानूनी पेंच फंसा हुआ है। नतीजतन जितने पदों के इश्तेहार के साथ राज्य सेवा परीक्षा आयोजित की जाती है, उतने पदों पर भर्तियां नहीं हो पा रही हैं।

राज्य सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के अगुवा आकाश पाठक ने कहा, ‘‘सरकारी नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का मुकदमा मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में लम्बित होने का हवाला देते हुए एमपीपीएससी कुल विज्ञापित पदों में से केवल 87 प्रतिशत ओहदों पर भर्ती कर रहा है और बाकी 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां अटकी हुई हैं।’’प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के प्रवक्ता मृणाल पंत ने प्रदेश की भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा, ‘सूबे में राजपत्रित अधिकारियों के हजारों पद खाली पड़े हैं। ऐसे में केवल 110 पदों के लिए राज्य सेवा परीक्षा आयोजित करना उन बेरोजगार नौजवानों के साथ धोखाधड़ी है जो पिछले कई सालों से इसकी तैयारी में जुटे हैं।’

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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