राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

मध्यप्रदेश को बनाए वैज्ञानिक अनुसंधान का हब : मंत्री सारंग

भोपाल में राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी का हुआ आयोजन

भोपाल
खेल युवा कल्याण एवं सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग ने कहा है कि मध्यप्रदेश देश के केन्द्र में है यहां की सारी परिस्थितियां विज्ञान अनुसंधान के अनुकूल है। इस कारण केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश को विज्ञान अनुसंधान हब के रूप में विकसित किया जा सकता है। यहां देश के अन्य राज्यों में हो रहे वैज्ञानिक अनुसंधानों से बेहतर समन्वय किया जा सकता है। उन्होंने प्रदेश में बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के आयोजन को महत्वपूर्ण क्षण बताया। मंत्री श्री सारंग शनिवार को भोपाल में 59वीं बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। बाल विज्ञान प्रदर्शनी में 23 राज्यों 7 केन्द्र शासित प्रदेशों और 7 अन्य राष्ट्रीय संस्थानों के 800 से अधिक बाल वैज्ञानिक और शिक्षकों ने संयुक्त रूप से 240 साइंस मॉडल प्रदर्शित किये। इस मौके पर महापौर भोपाल नगर निगम श्रीमती मालती राय भी मौजूद थी।

बाल वैज्ञानिकों में भारत की उज्ज्वल तस्वीर
मंत्री श्री सारंग ने कहा कि बाल वैज्ञानिकों ने साइंस पर केन्द्रित नवाचार करते हुए मॉडल प्रदर्शित किये हैं। इससे हमें भारत के भविष्य की उज्ज्वल तस्वीर दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि बाल वैज्ञानिकों को सतत प्रोत्साहन दिया जाये तो इनमें से किसी को भी नोबल पुरस्कार मिल सकता है। मंत्री श्री सारंग ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अनुसंधान को महत्व देते हुए नया नारा 'जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान और जय अनुसंधान' दिया है। इस नारे में प्रधानमंत्री ने अनुसंधान को भी महत्व दिया है। मंत्री श्री सारंग ने कहा कि राज्य सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई को हिन्दी माध्यम से किये जाने के लिये मेडिकल की पुस्तकें हिन्दी में तैयार की हैं। इसकी प्रसंशा देश भर में हुई है।

नई शिक्षा नीति में मातृ भाषा को महत्व
सचिव केन्द्रीय स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग नई दिल्ली श्री संजय कुमार ने राष्ट्रीय बाल विज्ञानिक प्रदर्शनी के सफल आयोजन के लिये स्कूल शिक्षा विभाग को बधाई दीं। नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए सचिव श्री संजय कुमार ने कहा, "इसमें जोर दिया गया है बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृ भाषा में होना चाहिए"। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक काल में बच्चों का मस्तिष्क विकास मातृ भाषा में ही होता है। सचिव श्री संजय कुमार ने अंग्रेजी को एक विषय के रूप में पढ़ने और अधिक से अधिक भाषाओं के सीखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में जो बच्चा पहली कक्षा में आता है वह कम से कम 12वीं कक्षा तक अनिवार्य रूप से पढ़ाई करे। केन्द्रीय सचिव श्री संजय कुमार ने बच्चों को स्कूल में आनंद पूर्ण माहौल में शिक्षा दिये जाने की भी बात कही। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद नई दिल्ली श्री दिनेश प्रसाद सकलानी, निदेशक राष्ट्रीय नवप्रर्वतन प्रतिष्ठान गांधी नगर गुजरात डॉ. अरविंद सी. रानाडे, एनसीईआरटी प्रो. सुनीता फरक्या ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में सचिव स्कूल शिक्षा श्री संजय गोयल, संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र श्री हरजिंदर सिंह एवं विभागीय अधिकारी मौजूद थे।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button