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भारत ने दुश्मनों की बैलिस्टिक मिसाइलें को तबह करने के लिए ब्रह्मास्त्र बना लिया, किया सफल परीक्षण

नई दिल्ली

दुनिया के सभी बड़े देशों के पास बैलिस्टिक मिसाइल हैं. जिनसे रासायनिक, जैविक, पारंपरिक या परमाणु हमला किया जा सकता है. भारत के पास भी ताकतवर बैलिस्टिक मिसाइलें हैं. पड़ोसी दुश्मन मुल्कों यानी चीन और पाकिस्तान के पास भी ये मिसाइलें हैं. लेकिन इनके मिसाइल हमले को बर्बाद करने के लिए भारत ने ब्रह्मास्त्र बना लिया है. उसके सफल परीक्षण भी कर लिए हैं. यानी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल (ABM) इंटरसेप्टर.

इस ब्रह्मास्त्र का नाम है- बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम (BMDS). इसमें इस्तेमाल की गई इंटरसेप्टर मिसाइल का नाम है AD-1.यानी अब दुनिया की कोई भी बैलिस्टिक मिसाइल जिसकी रेंज 5000 किलोमीटर से ज्यादा है, उसे भारत की धरती पर गिरने से पहले ही वायुमंडल के ऊपर ही खत्म कर दिया जाएगा.

ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) में इसका दूसरा परीक्षण हुआ. पहले पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल को दुश्मन की टारगेट मिसाइल बनाकर दागा गया. इसके बाद AD-1 इंटरसेप्टर मिसाइल को इस मिसाइल के पीछे छोड़ा गया. टारगेट मिसाइल को लॉन्च कॉम्प्लेक्स-4 धमरा से छोड़ा गया था. जबकि इंटरसेप्टर मिसाइल को लॉन्च कॉम्प्लेक्स-3 आईटीआर से छोड़ा गया था.

5 हजार km रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हो जाएंगी नाकाम

यह इस मिसाइल का फेज-2 परीक्षण था. इंटरसेप्टर मिसाइल वो हथियार होता है, जो दुश्मन की आती हुई मिसाइल को हवा में बर्बाद करता है. यानी इंटरसेप्ट करता है. इस परीक्षण के बाद भारत अब उन देशों में शामिल हो चुका है, जिनके पास 5 हजार किलोमीटर या उससे ज्यादा रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की ताकत है. ये देश हैं- अमेरिका, रूस और इजरायल.

अब समझते हैं कि भारत का एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम क्या है?  

डीआरडीओ ने देश के लिए स्वदेशी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम बनाया है. उसके लिए राडार बनाए. देसी मिसाइलों का जखीरा खड़ा किया. साल 2006 में भारत PADE यानी पृथ्वी एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया था. इसी में एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल को पृथ्वी एयर डिफेंस यानी PAD कहा गया.

PAD एक एक्सो-एटमॉस्फियरिक इंटरसेप्टर सिस्टम है. यानी AD-1 इंटरसेप्टर मिसाइल वायुमंडल के बाहर जाकर करीब 150 किलोमीटर की ऊंचाई पर दुश्मन की मिसाइल को खत्म कर देगा. दूसरा है एंडो-एटमॉस्फियरिक इंटरसेप्टर सिस्टम यानी वायुमंडल के नीचे 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर दुश्मन मिसाइल को खत्म करना. ये दोनों ही ताकत भारत के पास मौजूद है.

6 दिसंबर 2007 को एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) का सफल परीक्षण किया गया था. तब इंटरसेप्टर मिसाइल ने 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर टारगेट मिसाइल को इंटरसेप्ट किया था. 27 अप्रैल 2014 को फिर से सफल परीक्षण किया गया. 15 मई 2016 को AAD का फिर से सफल परीक्षण किया गया.

दिल्ली और मुंबई की सुरक्षा में तैनात हो सकती हैं ये मिसाइलें

8 जनवरी 2020 को भारतीय वायुसेना और डीआरडीओ ने भारत सरकार से दिल्ली और मुंबई को बैलिस्टिक मिसाइल के हमले से बचाने के लिए इंटरसेप्टर मिसाइलों को तैनात करने की अपील की थी. इन दोनों शहरों को सुरक्षा कवच देने के बाद अन्य प्रमुख शहरों और इलाकों को भी इन ब्रह्मास्त्रों से बचाने की योजना है.  

कौन-कौन से इंटरसेप्टर सिस्टम हैं भारत की मिलिट्री के पास?

पहला…  बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस के दो लेयर हैं. पहला वायुमंडल के नीचे और दूसरा इसके ऊपर. यानी 2000 किलोमीटर रेंज वाली दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को भारत की धरती से 15 से 25 किलोमीटर ऊपर और 80-100 किलोमीटर ऊपर ध्वस्त करने वाली मिसाइलें.

दूसरा… प्रोजेक्ट कुश… यानी रूस से हासिल S-400 की लेयर. यह 150,250, 350 और 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों को खत्म करने की ताकत रखता है.

तीसरा… आकाश एनजी और बराक-8 ये मिसाइलें हवा में आती दुश्मन की मिसाइलों को 70, 80 और 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर खत्म कर सकती हैं.

चौथा… 25 से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर मार करने की क्षमता वाली आकाश मिसाइलों का लेयर.

पांचवां… सतह से हवा में मार करने वाले गन सिस्टम. जैसे NASAM-2. भारत ने इसके लिए VL-SRSAM बनाया है. यानी वर्टिकल लॉन्च- शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल.

छठा... फेज-1 के एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम वो इंटरसेप्टर मिसाइलें हैं, जो 2000 किलोमीटर रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में खत्म कर सकती है. फेज-2 में ये रेंज बढ़कर 5000 किलोमीटर हो जाती है.

 

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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