RO.NO.12879/162
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

गाजा में युद्ध के बीच फलस्तीन का विरासत स्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल

नई दिल्ली
 गाजा में महीनों से जारी युद्ध के बीच फलस्तीन की सेंट हिलेरियन मोनेस्ट्री/टेल उम्म आमेर को  यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची और खतरे में पड़ी विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।

नई दिल्ली में आयोजित विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र की पूर्ण बैठक में सेंट हिलेरियन मोनेस्ट्री/टेल उम्म आमेर को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची और खतरे में पड़ी विश्व विरासत सूची में शामिल किए जाने की घोषणा की गई।

लेबनान, तुर्किये, कजाकिस्तान और कई अन्य देशों ने फलस्तीन के विरासत स्थलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने का स्वागत किया है।
फादर हिलारियन ने की थी स्थापना
फलस्तीन में गाजा पट्टी पर बना सेंट हिलारियन मठ एक ईसाई मठ है। इसकी स्थापना 340 ईस्वी में गाजा के मूल निवासी फादर हिलारियन ने की थी। हिलारियन ने अलेक्जेंड्रिया में पहले ईसाई धर्म अपनाया और बाद में सेंट एंथोनी से प्रेरित होकर पहले मिस्र और फिर गाजा में सन्यासी बन गए। इसके बाद उन्होंने अपने गांव थबाथा के पास एक आश्रम की स्थापना की।

पांच चर्च बने हैं
बताया जाता है कि सेंट हिलारियन मठ के अवशेष चार शताब्दी से भी अधिक पुराने हैं। इसमें पांच चर्च, स्नान गृह और विशाल सेंचुरी है। साथ ही एक विशाल तहखाना भी है। मठ में मिट्टी की ईंटों से छोटे-छोटे आश्रम बने थे। यह अवशेष जल्द ही खत्म हो गए। सातवीं सदी गाजा में आए भूकंप के बाद यह मठ लुप्त हो गया। बाद में 1999 में पुरातत्वविदों ने इसकी खोज की।

मठ को संरक्षण की जरूरत
गाजा पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक सेंट हिलारियन मठ को संरक्षण की जरूरत है। 2012 में इसे विश्व निगरानी स्मारक की सूची में शामिल किया गया। वहीं मौजूदा समय में चल रहे युद्ध से भी मठ को काफी नुकसान पहुंचा है। दिसंबर 2023 में यूनेस्को ने मठ को अनंतिम उन्नत संरक्षण सूची में शामिल किया था।

मोरावियन चर्च बस्तियां भी विश्व विरासत सूची में शामिल
अमेरिका से मिले नामांकन के बाद ऐतिहासिक मोरावियन चर्च बस्तियों को भी यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल कर लिया गया। नई दिल्ली में चल रहे विश्व धरोहर समिति के 46 वें सत्र में इसकी घोषणा होने के बाद अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन से आए जनप्रतिनिधियों से खुशी जताई। बताया जाता है कि डेनमार्क की मोरावियन चर्च बस्ती जो क्रिश्चियफील्ड से जुड़ी है, वह पहले से ही विश्व विरासत सूची में शामिल है। अब मोरावियन चर्च बस्ती की 18वीं शताब्दी में स्थापित बस्ती हेरनहट जमर्नी, बेथलहम यूएस और ग्रेसहिल ब्रिटेन को भी विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। मोरावियन चर्च बस्ती का वास्तु शिल्प बेजोड़ है। यह स्थानीय हालातों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मोरावियन समुदाय की खासियत को बयां करती है। यहां की परंपराएं मोरावियन संस्कृति को जीवंत रखती हैं।

 

 

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.12879/162

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button