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अमेरिका ने मालदीव को दी बड़ी चेतावनी, कहा जल्द चीन का उपनिवेश बन जाएगा

वॉशिंगटन
 शीर्ष अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू इस सप्ताह यूएस हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सामने पेश हुए। इस दौरान उन्होंने मालदीव में चीन के बढ़ते कदम को लेकर चिंता जताई और कहा कि अगर हमने कुछ नहीं किया तो मालदीव चीन की कॉलोनी बन जाएगा। इसके साथ ही कहा कि श्रीलंका में चीन का प्रभाव है, लेकिन अब उसे रोक दिया गया है। लू ने चीनी भागीदारी के प्रति संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखने में श्रीलंका के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि श्रीलंका में कोई भी चीनी मिलिट्री बेस नहीं है, क्योंकि हमने और हमारे पार्टनर्स ने श्रीलंका की मदद की। यह टिप्पणी श्रीलंका की ओर से अंतरराष्ट्रीय भागीदारी और निवेश में विविधता लाने से जुड़ी है।

इसके अलावा लू ने भारत के पड़ोसी मालदीव को लेकर चेतावनी दी। दरअसल मालदीव की सत्ता में मोहम्मद मुइज्जू के आने के बाद से वह चीन के करीब हुए हैं। उन्होंने भारत की जगह चीन यात्रा की थी। इसके अलावा भारतीय सैनिकों को भी देश से निकाल दिया था। चीन ने उन्हें बुनियादी ढांचा परियोजना में मदद का आश्वासन दिया है। इसे लेकर लू की टिप्पणी सावधान करने वाली हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमने चीन को सबकुछ करने दिया तो मालदीव के चीनी उपनिवेश बनने का खतरा है।

मालदीव को अमेरिका की चेतावनी

लू ने कहा, 'श्रीलंका जिस कर्जे की स्थिति में था, मालदीव अभी वहां तक नहीं पहुंचा है। उसे हम सभी से मदद की जरूरत है। यूएस एड (अमेरिकी दान), टेक्निकल एडवाइजर की मदद हम दे सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया और जापान समेत हम मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि मालदीव के पास विकल्प रहें। अगर हमने चीनियों को सबकुछ बनाने दिया और सारे कर्जे देने दिए तो संभव है कि मालदीव कुछ साल में चीन का उपनिवेश बन जाए। हमारे लिए जरूरी है कि हम मालदीव के साथ रहें।' जनवरी में डोनाल्ड लू मालदीव गए थे।

पाकिस्तान पर क्या बोले डोनाल्ड लू

दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी सहायक सचिव डोनाल्ड लू ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने 101 मिलियन डॉलर का अनुरोध किया है, जो पाकिस्तान में लोकतंत्र को मजबूत करने, आतंकवाद से लड़ने और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चुनौतियों का सामना कर रहा है और यह सहायता राशि उसे इनसे निपटने में मदद करेगा। अमेरिका की ओर से यह डेवलपमेंट तब हुआ है जब पाकिस्तान विदेशी निवेश और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी का सामना कर रहा है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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