काग़ज़ात प्रस्तुत करने वाले दावेदारों को पैसे मिलने में कोई दिक्कत नहीं : सीतारमण
17526 निवेशकों को 138 करोड़ रुपये वापस किये जा चुके हैं

नई दिल्ली-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि सहारा समूह के जिन निवेशकों के पास काग़ज़ात पूरे हैं उन्हें पैसे वापस करने में कोई बाधा नहीं है।सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि सरकार तो हाथ जोड़कर खड़ी है कि आइए सारे कागजात लाइए और अपने पैसे ले जाइए। लेकिन कोई आ नहीं रहा है। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि आप बाहर जाकर यह न कहें कि सरकार पैसा नहीं दे रही है। सरकार तो पूरी तरह से तैयार है। इस मामले की शीर्ष न्यायालय निगरानी कर रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि 138.07 करोड़ रुपये क्लेम किए गए थे जो जारी कर दिए गए हैं. 25781 करोड़ पूरा वितरित नहीं किया जाना है. उन्होंने बताया कि सहारा इंडिया की 18 संपत्तियां अटैच की गई हैं. कोऑपरेटिव मिनिस्ट्री बनाए जाने के बाद क्लेम देने के लिए फंड की मांग की. इसमें 1.21 करोड़ क्लेम आए. 374 करोड़ रुपये क्लेम के रिलीज कर दिए गए हैं. जस्टिस सुभाष रेड्डी कमेटी इस मामले की निगरानी कर रही है. पर्ल एग्रो कोऑपरेटिव में 1.25 करोड़ क्लेम आए. इनमें रिफंड्स 1021 करोड़ रुपये के क्लेम दे दिए गए हैं. जस्टिस लोढ़ा इसकी निगरानी कर रहे हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि जो भी लोग हैं वो ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर क्लेम करें. तीन जजों की कमेटी देखेगी और क्लेम जारी किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के तीन रिटायर्ड जज इसकी निगरानी कर रहे हैं.
सांसद अमरा राम के सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप को आदेश दिया था कि 3.7 करोड़ निवेशकों की करीब 26 हजार करोड़ रुपये की रकम 15 फीसदी ब्याज के साथ वापस की जाए। बाद ने सेबी ने सहारा इंडिया का अकाउंट खोला जिसमें से 15775 करोड़ रुपये वसूले गए। इसके बाद निवेशकों की रकम वापस करने के लिए कोर्ट की तरफ से एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने विज्ञापन दिया जिसमें कहा गया था कि निवेशक आएं और अपनी रकम ले जाएं। इसके लिए निवेशकों के आवेदन मंगाए गए थे। पंकज चौकरी ने कहा कि इसके तहत सिर्फ 17526 निवेशकों ने आवेदन किया जिन्हें 138 करोड़ रुपये वापस कर दिए गए थे। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा निवेशकों की रकम वापस देने की है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि बार-बार विज्ञापन देने के बाद भी निवेशकों के अपनी रकम वापस लेने के लिए आवेदन नहीं आए। बाद में सेबी राय मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट में सेबी ने कहा कि 15775 करोड़ रुपये में से जो रकम निवेशकों को वापस नहीं हुई है, वह सहारा ग्रुप की को-ऑपरेटिव कंपनी में ट्रांसफर कर दी जाए। इस रकम में से कोर्ट ने 5 हजार करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर करने की अनुमति दी थी।