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देश के सभी राजभवनों में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर एट होम का मौजूदा स्वरूप बहुत जल्द बदलेगा

जयपुर
देश के सभी राजभवनों में अंग्रेजों के समय से चली आ रहे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर एट होम का मौजूदा स्वरूप बहुत जल्द बदलेगा। हाल ही नई दिल्ली में हुए राज्यपालों के सम्मेलन में इस पर विचार किया गया। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में मंगलवार को आयोजित मीट द प्रेस कार्यक्रम में इसकी जानकारी दी।

उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि वे सीधे-सादे किसान थे और हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गुरुकुल का संचालन करते थे। इस कुरुक्षेत्र में वे कई प्रदेशों के बच्चों को भारतीय संस्कार और आधुनिक शिक्षा दे रहे थे। उन्होंने न तो कभी राजनीतिक गतिविधियों में भाग लिया और ना ही किसी राजनीतिक दल के सदस्य ही रहे थे। अचानक पता चला कि उन्हें हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया है।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बताया कि उन्हें 12 अगस्त, 2015 को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। इसके ठीक 3 दिन बाद स्वतंत्रता दिवस पर राजभवन में एट होम होना था। वे इसको लेकर काफी उत्सुक थे। क्योंकि इससे पहले उन्होंने देश के किसी भी राजभवन का कभी दौरा भी नहीं किया था।

स्वतंत्रता दिवस पर शाम के वक्त हिमाचल प्रदेश के तमाम प्रशासनिक, पुलिस अफसर, मीडिया कर्मी, सामाजिक संगठनों के प्रतिष्ठित लोग आए। सबने एक-दूसरे से परिचय किया। राम-राम की और चाय-नाश्ता करके चले गए। सभी लोगों के जाने के बाद उन्होंने राजभवन के अधिकारियों को बुलाकर पूछा कि एटहोम का आयोजन कब होगा। इस पर अफसरो ने बताया कि शाम को जो आयोजन हुआ, वहीं एटहोम था। यही परंपरा अंग्रेजों के समय से चली आ रही है।
इससे राज्यपाल आचार्य हतप्रभ रह गए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह कैसा एट होम है। चाय नाश्ता तो लोग अपने घरों पर भी कर सकते थे। यहां बुलाने की क्या जरूरत थी। खैर, इसके बाद जब गणतंत्र दिवस आया और राजभवन में एटहोम का आयोजन किया जाना था तो उन्होंने पुरानी व्यवस्था को बदला। इस बार जिन्होंने भारत को आजादी दिलाई उन स्वतंत्रता सेनानियों, उनके परिजनों और शहीदों के परिवारों को राजभवन में बुलाया गया। उनके सम्मान में भव्य संगीत संध्या का आयोजन किया गया। इसके बाद उन्होंने यही परंपरा गुजरात राजभवन में भी शुरू की है।
महामहिम आचार्य देवव्रत ने कहा कि हाल ही नई दिल्ली में हुए राज्यपालों के सम्मेलन में उन्होंने यही किस्सा महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सुनाया। इसके बाद तय हुआ कि राजभवनों में अंग्रेजों के समय से चली आ रही एटहोम की व्यवस्था में बदलाव किया जाए। अब स्वतंत्रता सेनानियों और सीमा पर भारत मां की रक्षा करते हुए शहीद हुए सैनिकों के परिवारों को बुलाकर उनके सम्मान में कार्यक्रम भी किए जाएंगे। जल्द ही देश के राजभवनों में यह व्यवस्था बदलने वाली है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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