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आतंक के लिए फंडिंग मामले में दोषी अलगाववादी नेता यासीन मलिक अब दिल्ली हाईकोर्ट में खुद लड़ेगा अपना केस

नई दिल्ली
आतंक के लिए फंडिंग मामले में दोषी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद के बजाय फांसी की सजा सुनाए जाने को लेकर एनआईए की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई में शुक्रवार को एक नया मोड़ आया। यासीन मलिक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस गिरीश कठपालिया की बेंच के समक्ष पेश किया गया। यासीन मलिक ने बेंच से अपनी पैरवी खुद करने की मंशा जाहिर की, जिसे बेंच ने मंजूर कर लिया। अलगाववादी संगठन ‘जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ का प्रमुख यासीन मलिक आतंकवाद के फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक ने हाईकोर्ट से कहा कि वह अपनी पैरवी खुद करना चाहता है। उसे किसी कानूनी परामर्श की जरूरत नहीं है। उसे इसकी अनुमति दी जाए। बेंच ने मलिक के आग्रह को मंजूर करते हुए कहा कि यासीन को अपना पक्ष रखने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया जाता है। वह इस मामले में अपनी दलीलें पेश करने के लिए तैयारी करे। मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को दोपहर 3 बजे होगी।

वर्ष 2022 में दोषी करार दिए गए थे यासीन मलिक
उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक को 24 मई 2022 को पटियाला हाउस कोर्ट ने यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अपराधों के लिए दोषी करार दिया था। यासीन मलिक ने यूएपीए के तहत लगाए गए आरोपों सहित सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था।

एनआईए ने की थी मौत की सजा की मांग
सजा के खिलाफ अपील करते हुए एनआईए ने कहा कि किसी आतंकवादी को केवल इसलिए उम्रकैद की सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। मुकदमा नहीं चलाने का विकल्प चुना है। सजा को बढ़ाकर मौत की सजा में बदलने की मांग करते हुए एनआईए ने कहा है कि अगर ऐसे खूंखार आतंकवादियों को दोषी मानने के कारण मौत की सजा नहीं दी जाती है, तो सजा नीति पूरी तरह खत्म हो जाएगी और आतंकवादियों को मौत की सजा से बचने का एक रास्ता मिल जाएगा।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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