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छत्तीसगढ़दुर्ग-भिलाई

शिक्षा ऐसी हो जो चुनौतियों का सामना करना सिखाए- आई.पी. मिश्रा

भिलाई-श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में नवप्रवेशित विधार्थियों को उनके कैरियर के नए सोपान पर उच्च शिक्षा की अकादमिक और शैक्षणेतर गतिविधियों से परिचित कराने के उद्देश्य से चार दिवसीय दीक्षारंभ का आयोजन किया गया। दीक्षारंभ का विशेष आकर्षण शिक्षा जगत के जानेमाने शिक्षाविद् और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आई पी मिश्रा का संबोधन रहा जिसमें उन्होंने अपनी रोचक शैली में विधार्थियों को ज्ञानार्जन का महत्व बतलाते हुए संस्कृत एवं ग्रंथों के उदाहरण के साथ प्रेरक उद्बोधन दिया।राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य है शिक्षा के प्रति छात्रों में भय को समाप्त करना।इस नीति में अपार संभावनाएं हैं। कौशल और रोजगारपरक,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।उन्होंने कहा कि अब शिक्षा ऐसी हो जो 21 वीं सदी की चुनौतियों के लिए विधार्थियों को तैयार कर सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वैश्विक मानकों के अनुरूप कौशल और व्यक्तित्व विकास का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है।अब विधार्थी नौकरी मांगने नहीं नौकरी देने वाले बने तभी इसकी सतर्कता है।

उन्होंने श्री गंगाजली शिक्षण समिति की स्थापना के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए श्री शंकराचार्य ग्रुप के विकास की चर्चा करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में विधार्थी इन संस्थाओं में अध्ययनरत हैं क्योंकि उन्हें स्तरीय शैक्षणिक सुविधाएं इन कैंपस में दी जा रहीं हैं।हमारा प्रयास है कि अपनी पढ़ाई करके जब विधार्थी करियर के विभिन्न क्षेत्रों में जाए तो हुनरमंद बन कर पहुंचे और संस्था का नाम रोशन करे।श्री मिश्रा ने विधार्थियों को आवाह्न करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप आप संस्कार व ज्ञानार्जन से पूर्ण होकर संप्रेषण कला में माहिर हों तभी हमारी और आपके अभिभावकों की मेहनत सफल होगी।इस अवसर पर अपना आशीर्वाद देते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय को श्रेष्ठ विश्वविद्यालय बनाने कड़ी मेहनत करने कहा।दीक्षारंभ कार्यक्रम में श्री गंगाजली शिक्षण समिति की अध्यक्ष डॉ जया मिश्रा एवं कुलपति डॉ ए के झा ने भी विधार्थियों का उत्साहवर्धन किया।इन चार दिवसीय कार्यक्रम में शिक्षाविद् कर्नल उमेश कुमार मिश्रा, डॉ पी बी देशमुख,इतिहासकार विश्वनाथ बोगी,डॉ निवास देशमुख के उद्बोधन हुए।कार्यक्रम का संचालन छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ प्राची निमजे ने किया।

Dinesh Purwar

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