धार्मिक

दिवाली 2024 की तारीख और समय: 5 दिवसीय कार्यक्रम

दीपावली की डेट को लेकर इस बार लोगों के बीच में भारी कन्‍फ्यूजन है। दीपावली ऐसा त्‍योहार है जिसका सभी को पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है। दीपावली पूरे 5 दिन का उत्‍सव है जो कि धनतेरस से लेकर भाई दूज तक मनाया जाता है। मगर इस बार बड़ी दीपावली कब मनाई जाएगी, इसको लेकर लोगों के बीच में लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वैदेही, ऋषिकेश और विश्‍वविद्यालय पंचांग के अनुसार दीपावली का पर्व 31 अक्‍टूबर को सर्वसम्‍म्‍मत रूप से मनाया जाना चाहिए। आइए इस संबंध में हम आपको विस्‍तार से बताते हैं कि दीपावली की तिथि कब से कब तक है और साथ ही देखते हैं दीपावली का पूरे 5 दिन का कैलेंडर।

धनतेरस कब है

धनतेरस कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल धनतेरस 29 अक्‍टूबर मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन सोने चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। धनतेरस का पर्व भगवान धनवंतरी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेरजी के साथ ही धन की देवी मां लक्ष्‍मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। धनतेरस के शुभ अवसर पर घर में नई झाड़ू और धनिया लाने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर पूरे साल धन समृद्धि बढ़ाती हैं और कृपा बरसाती हैं। इस दिन बहुत से लोग अपने घर में रोजाना के प्रयोग की नई इलेक्‍ट्रॉनिक चीजें भी लाते हैं।
  
छोटी दीपावली, हनुमान जयंती, नरक चतुर्दशी कब है

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली मनाई जाती है। छोटी दिवाली इस बार 30 अक्‍टूबर को मनाई जाएगी। इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार हनुमानजी की जयंती भी मनाई जाती है। साथ ही इसे रूप चौदस और छोटी दीवाली भी कहते हैं। इस दिन दक्षिण दिशा में यम देवता के नाम का दीपक भी जलाया जाता है। साथ ही इस दिन हनुमानजी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाना और चोला चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है।

बड़ी दीपावली कब है

दीपावली इस साल 31 अक्‍टूबर, दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। वैदेही, ऋषिकेश और विश्‍वविद्यालय इन तीनों पंचांगों में दी गई जानकारी के अनुसार दीपावली का पर्व सर्वसम्‍मत रूप से 31 अक्टूबर को मनाया जाना चाहिए। दरअसल दीपावली का त्‍योहार कार्तिक मास की अमावस्‍या तिथि को मनाया जाता है और प्रदोष काल के बाद दीपावली की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार इस साल अमावस्‍या तिथि 31 अक्‍टूबर को दोपहर के बाद 3 बजकर 52 पर शुरू होकर 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। यानी कि 31 अक्‍टूबर की रात को अमावस्‍या तिथि विद्यमान रहेगी। इसलिए 31 अक्‍टूबर की रात को ही दीपावली मनाना तर्कसंगत होगा। 31 अक्‍टूबर को रात में ही लक्ष्‍मी पूजन, काली पूजन और निशिथ काल की पूजा की जाएगी। मध्य रात्रि की पूजा भी 31 अक्‍टूबर की रात को ही करना सर्वमान्‍य होगा। जबकि अमावस्‍या से जुड़े दान पुण्‍य के कार्य और पितृ कर्म आदि 1 नवंबर को सुबह के वक्‍त करना उचित होगा।

गोवर्द्धन पूजा, अन्‍नकूट कब है

गोवर्द्धन पूजा दीपावली के अगले दिन होती है। इसे अन्‍नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्द्धन पूजा 2 नवंबर की जाएगी। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार द्वापर युग‍ में भगवान कृष्‍ण ने गोवर्द्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर सभी मथुरावासियों को भीषण वर्षा से रक्षा की थी। तब से इस पर्व को गोवर्द्धन पूजा के रूप में हर साल मनाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और अन्‍नकूट का भोग लगाया जाता है।

भाईदूज कब है 

भाईदूज दीपावली के महाउत्‍सव का आखिरी दिन होता है। कार्तिक मास के शक्‍ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल भाई दूज 3 नवंबर को मनाई जाएगी। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन यमराज की यमुना ने अपने भाई को सबसे पहले तिलक किया था। तभी से हर साल इस शुभ मौके पर बहनें अपने भाइयों को टीका करती हैं और उनकी दीर्घायु की कामनी करती हैं

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.13286/93

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button