RO.NO. 13207/103
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

बाहरी नहीं बल्कि पंडित और पुजारी कर रहे प्रसाद में मिलावट: स्वामी प्रसाद मौर्य

लखनऊ

दक्षिण भारत के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी और तेल मिलाए जाने के विवाद को लेकर मचे कोहराम में यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी कूद पड़े हैं. उन्होंने इस मामले को लेकर बेहद विवादित और आपत्तिजनक बयान दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि मंदिरों के प्रसाद में कोई दूसरा नहीं बल्कि हिंदू धर्म के ठेकेदार ही मिलावट कर लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उनके मुताबिक प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाने जैसा अनर्थ का काम हिंदुओं के धर्माचार्य और मंदिरों के पुजारी व पंडित ही कर रहे हैं. हिंदू धर्म के दुश्मन कोई और नहीं बल्कि पंडित और पुजारी ही है.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने संगम नगरी प्रयागराज में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि प्रसाद में मिलावट का काम मंदिरों के पुजारियों- पंडितों और धर्माचार्यों की मिलीभगत से ही होता है. उनके मुताबिक मंदिरों में चढ़ाए जाने वाला प्रसाद और उसे तैयार की जाने वाली सामग्री वहां के धर्माचार्यों – पुजारियो और पंडितों की अनुमति के बिना अंदर नहीं जा सकता है. इसका साफ मतलब है कि प्रसाद में जानवरों की चर्बी या दूसरी मिलावट इनकी मिलीभगत के बिना कतई मुमकिन नहीं है. हिंदू धर्म के ठेकेदार बनने वाले लोग ही इस अनर्थ के काम में लगे हुए हैं. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके पीछे इन लोगों की बड़ी साजिश है. पंडित पुजारी और धर्माचार्य ही प्रसाद में गोलमाल करा रहे हैं.

अखिलेश का किया बचाव
स्वामी प्रसाद मौर्य ने माफिया और मठाधीश वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव के विवादित बयान पर भी उनका बचाव किया है. उन्होंने कहा कि अगर किसी मठाधीश की प्रवृत्ति माफिया की तरह हो जाए तो उसे माफिया कहना कतई गलत नहीं है. माफिया मठाधीश को माफिया ही कहा जाएगा. उन्होंने यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर होने जा रहे उपचुनावो में मायावती की पार्टी बीएसपी के मैदान में उतरने पर कहा है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है. मायावती चार बार यूपी में सीएम रही हैं. ऐसे में उपचुनाव लड़ने का फैसला कोई बड़ी नहीं, बल्कि छोटी बात है.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मोदी सरकार का सबसे बड़ा ढोंग और नौटंकी करार दिया है. उनका कहना है कि यह कतई व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि केंद्र और राज्यों की सरकारे कब बीच में गिर जाएं, नहीं कहा जा सकता. ऐसे में यह प्रयोग पूरी तरह से असफल साबित होगा. स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के लिए इतनी ही चिंता है तो उन्हें वन नेशन वन इलेक्शन के बजाय वन नेशन वन एजुकेशन की व्यवस्था को लागू करना चाहिए, ताकि गरीबों और पिछड़े लोगों के बच्चों को भी समान रूप से शिक्षा मिल सके और वह जागरूक हो सके.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO. 13207/103

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button