RO.No. 13047/ 78
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

अहिल्या माता ने सनातन संस्कृति की ध्वजा लहराई : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर ने सच्चे अर्थों में सनातन संस्कृति की ध्वजा को लहराने का कार्य किया। अठाहरवीं शताब्दी में लगभग 28 वर्ष के उनके शासन में प्रशासनिक कुशलता, जन-कल्याण, सुशासन के अनेक दृष्टांत प्रस्तुत किए। लोकमाता अहिल्या बाई की 300वीं जयंती पर मध्यप्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। आज गौरवशाली इतिहास वाले पुणे में रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी संस्था के राष्ट्रीय चर्चा कार्यक्रम में आकर पुणे नगरी को प्रणाम करते हुए यहाँ शिवाजी महाराज, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक की स्मृति को नमन है, जिनके कारण पुणे महानगर का स्पंदन पूरा राष्ट्र महसूस करता है। पुणे महानगर प्रकारांतर से इंदौर और उज्जैन की तरह प्रतीत होता है।

राष्ट्रीय चर्चा में राजस्थान के राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागड़े भी विशेष रूप से उपस्थित थे। मुख्य वक्ता पद्मश्री सुश्री निवेदता ताई भिड़े उपाध्यक्ष स्वामी विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी के अलावा श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी, महिला विद्यापीठ मुंबई की कुलगुरू डॉ. उज्जवला चक्रदेव, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी संस्थान के पदाधिकारी श्री विनय सहस्त्रबुद्धे ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंगलवार को पुणे के जानकी देवी बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ऑडिटोरियम में "पुण्यश्लोक अहिल्या बाई होलकर और उनके जन कल्याणकारी सुशासन" विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पुणे में शिवाजी महाराज की सरिता की धारा के अलग-अलग तट के हिस्से दिखाई देते हैं। इसके साथ ही सिंधिया, होलकर वंश के शासकों सहित लोक माता के कार्यों का स्मरण सहज ही हो जाता है। पेशवा बाजीराव जी और सिंधिया जी का सहयोग वर्तमान के महाकाल मंदिर उज्जैन के कायम रहने का आधार बना। हमारे शासकों ने उस दौर में महाकाल मंदिर का निर्माण किया, जब बाहरी आक्रामक विभिन्न नगरों को ध्वस्त करने के लिए तैयार बैठे थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस और लोकमाता अहिल्या देवी के लोक कल्याणकारी कार्यों का स्मरण आज पूरा राष्ट्र कर रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में भगवान विश्वनाथ जी के देवस्थान में जाने का अवसर मिलता है तो हम उनके दर्शन से अभिभूत होते हैं। यह सुअवसर भी लोकमाता अहिल्या बाई ने दिया, यह मंदिर उनकी ही देन है। लोकमाता अहिल्या बाई ने द्वारका, सोमनाथ और कई अन्य स्थानों पर ऐसे प्रकल्प संचालित किए। वे प्रशासनिक कुशलता, युक्ति एवं बुद्धिमत्ता से कार्य करती थीं। उनके साथ सहकर्मी सेनापतियों ने भी आर्थिक लाभ के लिए छल किए, लेकिन लोकमाता समाधान का मार्ग निकालने में पीछे नहीं रहीं। उन्होंने अनेक इलाकों में सकारात्मक परिवर्तन के लिए कुंओं के निर्माण, उद्यानों के निर्माण, प्याऊ प्रारंभ करने, सड़कों के निर्माण और सुधार कार्य, अन्न क्षेत्र प्रारंभ करने, मंदिरों में विद्वानों की निुयक्ति और खेती-बाड़ी के कार्यों से लोगों को जोड़कर सम्पूर्ण समाज को बदलने का कार्य किया। वे एक माँ का प्रतिरूप थीं। अनेक दुखों को सहते हुए उन्होंने शासन के ऐसे सूत्र संचालित किए, जो सर्व कल्याण के भाव का उदाहरण है। उनके राज्य में दो तरह की धन राशि का प्रावधान था। व्यक्तिगत उपयोग के साथ ही राशि का परिवार के लिए उपयोग करने का संदेश धनगर और यादव समाज ने दिया है, जिसमें परिवार की महिला को आय का एक चौथाई हिस्सा प्रदान किया जाता है। होलकर वंश में खासगी परम्परा कहा गया। उस दौर में 18 करोड़ की राशि जिसका वर्तमान मूल्य दो हजार करोड़ से ही अधिक होगा, उसके माध्यम से अनेक प्रकल्पों का संचालन किया गया। राज्य की सुरक्षा के लिए लोकमाता ने कूटनीति और युद्ध कौशल के अनेक दृष्टांत प्रस्तुत किए। नारी होकर भी वे पुरूषार्थ का प्रतीक थीं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर ने वर्ष 1767 में अपनी राजधानी महेश्वर से इंदौर करने का निर्णय लिया था। महेश्वरी साड़ी के लिए महेश्वर विश्व में प्रसिद्ध है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि इंदौर को राजधानी बनाने के बाद यह शहर एक महत्वपूर्ण केन्द्र बना। इंदौर ने व्यापार, संस्कृति और कला के क्षेत्र में विकास किया। इंदौर में अनेक स्मारकों का निर्माण करवाया गया है, जिनमें से अनेक आज भी मौजूद हैं। महेश्वर के साथ ही ओंकोरश्वर में भी नर्मदा जी के किनारे भी सुविधाजनक घाट निर्मित करवाया, जो महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना। तीर्थयात्रियों के लिए अनेक सुविधाएं विकसित की गईं। भगवान शिव, लोकमाता अहिल्या बाई के प्रमुख आराध्य थे। देश के अनेक स्थानों पर उन्होंने शिव मंदिरों का निर्माण करवाया।

महेश्वर हस्तशिल्प का महत्वपूर्ण केन्द्र हैं जो आत्म-निर्भरता का भी प्रतीक है
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने महेश्वर की विशेषताएं बताते हुए कहा कि महेश्वर आज हस्तशिल्प का प्रमुख केन्द्र हैं। यह नगर आत्मनिर्भरता का संदेश देता है। हस्तशिल्प का हुनर हजारों व्यक्तियों को आत्म-निर्भर बनाकर आर्थिक उन्नति का माध्यम बना हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अहिल्या बाई की 300वीं जयंती पर मध्यप्रदेश में होने जा रहे कार्यक्रमों की भी जानकारी दी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया 'शिव-सृष्टि' थीम पार्क का अवलोकन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंगलवार को अम्बेगांव (पुणे) में एशिया के एकमात्र ऐतिहासिक थीम पार्क 'शिव-सृष्टि' का अवलोकन किया। महाराजा शिव-छत्रपति प्रतिष्ठा न्यास संस्थान द्वारा संचालित ‘शिव-सृष्टि’ थीम पार्क का उद्देश्य छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और उनके संघर्ष को जीवंत करना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुणे में संस्थान की गतिविधियों की प्रशंसा की।

छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और उनके योगदान से परिचित करवाने वाला 'शिव-सृष्टि' थीम पार्क 21 एकड़ भूमि में स्थित है। इसकी अनुमानित लागत 438 करोड़ रुपये है। अब तक इस मेगा प्रोजेक्ट के दो चरण पूरे हो चुके हैं। पहले चरण में सरकारवाड़ा के अंतर्गत महाराष्ट्र के किलों की प्रदर्शनी, छत्रपति शिवाजी महाराज के आगरा से बच निकलने की कहानी, रायगढ़ का 5-डी शो, शस्त्रों की प्रदर्शनी और शिवाजी महाराज के जीवन पर केन्द्रित अन्य इंटरैक्टिव अनुभव शामिल हैं। दूसरे चरण में रोटेशनल प्लेटफार्म पर ‘स्वराज्य स्वधर्म, स्व-भाषा’ शो विकसित किया गया है, जिसे एक बार में लगभग 100 दर्शक  देख सकते हैं।

थीम पार्क के तीसरे चरण में प्रवेश द्वार (रंग मंडल), राजसभा का निर्माण, डार्क राइड, तटबंध, लैंड-स्केप और ऑडिटोरियम का निर्माण कार्य पूरा किया जा रहा है। इस थीम पार्क को ‘मेगा टूरिज्म प्रोजेक्ट’ का दर्जा मिला है। अब तक 70 हज़ार से अधिक लोग इसका भ्रमण कर इसकी सराहना कर चुके हैं।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button