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गौरा बाई बोली मेरी झोपड़ी ने अब पक्के घर का रूप ले लिया है…..

भोपाल
सफलता की कहानी

झुग्गी-झोपड़ी में रहते-रहते मेरी जिंदगी बीत चली थी। कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे ऊपर भी पक्की छत होगी। प्रधानमंत्री आवास योजना की बदौलत मेरी झोपड़ी ने अब पक्के घर का रूप ले लिया है। यह कहना है ग्वालियर की गौरा बाई का।

जीवन के लगभग 70 बसंत देख चुकीं गौरा बाई लोहपीटा समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने अब तक अपने जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा खानाबदोश की तरह जिया है। इसी बीच पति का असमय निधन हो गया। तब लगा कि जीवन में पक्के घर का सपना पूरा नही होगा।

गौरा बाई बताती हैं कि एक दिन मुझे ग्वालियर नगर निगम के कर्मचारियों से पता चला कि हम जैसे जरूरतमंदों को पक्का घर बनाने के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत आर्थिक मदद मिलती है। मेरे भीतर उम्मीद की किरण जगी। नगर निगम के कर्मचारियों के सहयोग से मैंने अपना फार्म भर दिया और जल्द ही मेरे लिये पक्का मकान मंजूर हो गया। गौरा बाई बताती हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मुझे कुल मिलाकर 2 लाख 50 हजार रूपए की मदद मिली, जिससे हमने अपने सपनों का आशियाना तैयार कर लिया है।

गौरा बाई बताती हैं कि टप्पा तहसील मुरार परिसर में विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत आयोजित हुए शिविर में गौरा बाई को केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब उनके मकान की आखिरी किस्त सौंपी तो वे भावुक हो गईं।

प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार जताते हुए गौरा बाई बोलीं कि मुझे केवल पक्का घर ही नहीं, हर माह 600 रूपए कल्याणी पेंशन भी सरकार से मिल रही है। इसके साथ ही सरकार से एक रूपए प्रति किलो के हिसाब से अनाज भी मिल रहा है। अब मुझे कोई दिक्कत नहीं है। राज्य और केन्द्र सरकार की योजना से मेरे परिवार के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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