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रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा जो अब संभाल सकते हैं समूह की कमान

मुंबई
टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा अब इस दुनिया में नहीं रहे। 86 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके साथ ही टाटा समूह की कमान को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि रतन टाटा के बाद अब अगुवाई कौन करेगा। हालांकि, इस रेस में कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन सबसे आगे उनके सौतेले भाई नोएल टाटा का नाम है। हालांकि, अब तक समूह की तरफ से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।

कौन हैं नोएल टाटा

नवल एच टाटा और सिमोन एन टाटा के बेटे हैं। टाटा इंटरनेशनल की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, नोएल टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। वह टाटा समूह से 40 सालों से जुड़े हुए हैं और टाटा ग्रुप की कई कंपनियों में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हैं। वह ट्रेंट, टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन के चेयरमैन हैं।

साथ ही वह नोएल स्टील और टाइटन कंपनी लिमिटेड के वाइस चेयरमैन हैं। वह सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड के ट्रस्टी भी हैं। उन्होंने ब्रिटेन की ससेक्स यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल की है। साथ ही INSEAD से इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम पूरा किया है।

नोएल टाटा के 3 बच्चे टाटा ट्रस्ट्स में हैं शामिल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टाटा समूह ने नोएल टाटा के 3 बच्चों को परोपकारी संस्थाओं के बोर्ड में शामिल किया था। इनमें लेह, माया और नेविल का नाम शामिल है। खास बात है कि इन नियुक्तियों से ट्रस्ट्स की 132 साल पुरानी परंपरा में भी बदलाव के संकेत मिलते हैं, जहां पहले आमतौर पर दिग्गजों को ट्रस्टीशिप दी जाती थी। लेह, माया और नेविल टाटा की कई कंपनियों में मैनेजर लेवल के पदों पर भी हैं।

इन ट्रस्टों में शामिल अन्य लोगों ने सिटी इंडिया के पूर्व सीईओ परमीत झावेरी सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और रतन टाटा के छोटे भाई जिमी टाटा और जहांगीर अस्पताल के सीईओ जहांगीर एचसी जहांगीर सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं.
कैसे चुने जाते हैं इन ट्रस्टों के चेयरमैन

टाटा ट्रस्ट के प्रमुख का चुनाव ट्रस्टियों में से बहुमत के आधार पर होता है. विजय सिंह और वेणु श्रीनिवास इन दोनों ट्रस्टों के उपाध्यक्ष हैं. लेकिन इनमें से किसी एक के प्रमुख चुने जाने की संभावना अपेक्षाकृत कम है. जिस व्यक्ति को टाटा ट्रस्ट का प्रमुख बनाए जाने की अधिक संभवाना है, वो है 67 साल के नोएल टाटा. नोएल की नियुक्ति से पारसी समुदाय भी खुश होगा. रतन टाटा पारसी थे. इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि एक पारसी है इस संगठन का नेतृ्त्व करे. इस ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2023 में 470 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया था.
पारसी को प्राथमिकता

एक ऐतिहासिक तय्थ यह भी है कि केवल पारसियों ने ही टाटा ट्रस्ट की कमान संभाली है. हालांकि कुछ के नाम में टाटा नहीं लगा था और उनका ट्रस्ट के संस्थापक परिवार से कोई सीधा रिश्ता नहीं था. अगर नोएल टाटा इन ट्रस्टों के प्रमुख चुने जाते हैं तो वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 11वें अध्यक्ष और सर रतन टाटा ट्रस्ट के छठे अध्यक्ष बनेंगे. नोएल चार दशक से अधिक समय से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं. वो ट्रेंट, टाइटन और टाटा स्टील समेत छह प्रमुख कंपनियों के बोर्ड में हैं. उन्हें 2019 में सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी नियुक्त किया गया था. वो 2022 में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किए गए थे.

टाटा का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद माना जाता था कि वो टाटा संस के चेयरमैन का पद संभालेंगे. लेकिन उस पर नोएल के बहनोई साइरस मिस्त्री को बैठा दिया गया. टाटा संस से साइरस मिस्त्री के निकाले जाने के बाद टाटा संस के अध्यक्ष की कमान टीसीएस के सीईओ एन चंद्रशेखरन ने संभाली.नोएल और रतन टाटा कभी एक साथ नजर नहीं आए. दोनों ने अपने बीच दूरी बनाए रखी.हालांकि रतन टाटा के अंतिम दिनों में अपने सौतेले भाई से रिश्ते काफी मधुर हो गए थे.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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