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शांति के नोबेल का ऐलान, परमाणु हथियारों के खिलाफ लड़ने वाले जापानी संगठन को पुरस्कार

स्टॉकहोम
 साल 2024 का शांति का नोबेल जापान के संगठन निहोन हिदान्क्यो को मिला है। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने शुक्रवार को इसका ऐलान करते हुए कहा कि इस साल का नोबेल पीस प्राइज जापानी संगठन निहोन हिदान्क्यो को देने का फैसला लिया गया है। संगठन को ये पुरस्कार परमाणु हथियारों के खिलाफ लंबी मुहिम चलाने के लिए दिया जा रहा है। संगठन ने दुनिया को परमाणु मुक्त करने के लिए वर्षों से संघर्ष किया है। जापान के इस संगठन को उन लोगों ने बनाया है, जो दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले में जिंदा बच गए थे। इनको हिबाकुशा भी बुलाया जाता है।

नॉर्वे नोबेल समिति के अध्यक्ष जॉर्गन वात्ने फ्रिदनेस ने शुक्रवार को पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों के इस जमीनी स्तर के आंदोलन को परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया हासिल करने के प्रयासों और गवाहों के माध्यम से यह प्रदर्शित करने के लिए शांति पुरस्कार मिल रहा है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल दोबारा कभी नहीं किया जाना चाहिए।

समिति ने कहा- परमाणु हथियारों के खतरे को समझना होगा

नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने कहा कि निहोन हिदान्क्यो को इस साल का नोबेल पीस प्राइज देने पर हम इस उत्साहजनक तथ्य को स्वीकार करते हैं कि बीते 80 वर्षों में किसी भी युद्ध में परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया है। निहोन हिदान्क्यो और हिबाकुशा के अन्य प्रतिनिधियों के असाधारण प्रयासों ने परमाणु निषेध की स्थापना में बहुत योगदान दिया है।

समिति ने संगठन के प्रयासों की इसलिए भी तारीफ की है क्योंकि आज परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ी है। परमाणु शक्तियां अपने शस्त्रागारों को अपग्रेड रही हैं। ऐसा लगता है कि नए देश परमाणु हथियार हासिल करने की तैयारी कर रहे हैं। मानव इतिहास के इस क्षण में हमें यह याद दिलाना जरूरी है कि परमाणु हथियार दुनिया में अब तक देखे गए सबसे विनाशकारी हथियार हैं।

नोबेल कमेटी ने कहा कि एक दिन परमाणु हमले को झेलने वाले लोग हमारे पास नहीं रहेंगे लेकिन जापान की नई पीढ़ी उनकी याद और अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करती रहेगी। ये लोग दुनिया को ये बताते रहेंगे कि परमाणु हथियार कितने खतरनाक हैं और क्यों इनके खत्म हो जाने में ही सबकी भलाई है। बता दें कि नॉर्वेजियन नोबेल समिति को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कुल 286 आवेदन मिले थे, जिसमें से 89 संगठन थे।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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