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छत्तीसगढ़-वक्फ बोर्ड में अविश्वास प्रस्ताव पर विवाद, हाईकोर्ट में दी चुनौती

रायपुर।

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ग़ुलाम मिन्हाजुद्दीन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस सरकार के समय नियुक्त किए गए वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य इमरान मेमन, पूर्व विधायक खुज्जी, फ़िरोज़ ख़ान, फैसल रिज़वी और भाजपा सरकार में नियुक्त सदस्य सलीम राज ने वर्तमान राज्य शासन के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।

अविश्वास प्रस्ताव के लिए दशरथ लाल साहू पिछड़ा वर्ग और अल्प संख्यक विकास विभाग पीठासीन अधिकारी नियुक्त किए गए थे। पीठासीन अधिकारी दशरथ लाल साहू ने इस प्रस्ताव के संबंध में वक़्फ़ बोर्ड के सभी सदस्यों को 26/09 /2024 की तारीख़ वाली नोटिस जारी की थी। जो वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य रियाज़ हुसैन को 30/09/2024 की शाम छह बजे के बाद तामील की गई। इस अविश्वास प्रस्ताव की कारवाई के लिए दिनांक 14/10/2024 को दिन के साढ़े दस बजे वक़्फ़ बोर्ड कार्यालय में हाजिर होने की जानकारी दी गई थी।
वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य रियाज़ हुसैन ने इस नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उनके द्वारा धारा 20क के तहत लाए गए अविशवास प्रस्ताव के संबंध में 20 क (घ)के परंतुक के तहत यह प्रावधान है :- ऐसी बैठक की सूचना कम से कम (एटलीस्ट) 15 दिन पहले दी जाएगी। अविश्वास प्रस्ताव की बैठक नोटिस तामिली दिनांक के 15 दिन के भीतर की जा रही जो धारा 20 क (घ) के (मेंडेटरी)अनिवार्य आदेशात्मक प्रावधान का उल्लंघन है बताया है। अविश्वास प्रस्ताव नियम विरुद्ध लाया जा रहा है इस संबंध में रियाज़ के द्वारा रिट पिटीशन फाइल किए जाने की जानकारी दी गई है, जिसकी सुनवाई के दौरान पीठासीन अधिकारी दशरथ लाल साहू जो अवर सचिव पिछड़ा एवं अल्प संख्यक विकास विभाग को हटाकर मार्टिन लकड़ा अवर सचिव पशुधन विकास विभाग को दिनांक 08/10/2024 को नियुक्त किए जाने की जानकारी दी गई। इस आदेश की कोई प्रति की तमीली रियाज हुसैन ने नहीं होना बताया, जबकि अविश्वास प्रस्ताव के लिए पीठासीन अधिकारी उसी विभाग का नहीं होना चाहिए। वक़्फ़ एक्ट में स्पष्ट लिखा है कि इस नोटिस के तामील होने के बाद भी कम से कम 15 दिन बाद अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होने के लिए बैठक बुलाई जा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। रियाज ने अपने अविश्वास प्रस्ताव के लिए नियुक्त नए पीठासीन अधिकारी मार्टिन लकड़ा को आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा के कार्यालय में दिनांक 09/10/2024 को एक तीन पेज की कई बिंदुओं वाली आपत्ति प्रस्तुत की, जिसमें बोर्ड के तीन सदस्य इमरान मेमन, फ़िरोज़ ख़ान और फैज़ल रिज़वी के वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य के रूप में अधिवक्ता अज़ीमुद्दीन के द्वारा चुनौती देने की जानकारी याचिका पर 14/10/2024 से प्रारंभ होने वाले सप्ताह में लिस्ट होना है। अधिवक्ता अज़ीमुद्दीन की रिट याचिका 1947/2023 सिविल में पारित अंतरिम आदेश दिनांक 27/04/2023 की प्रति भी लगाई है, जिसमें आदेशित किया गया है कि याचिका के लंबित रहने के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य वक़्फ़ बोर्ड द्वारा लिए गए सभी निर्णय उपरोक्त याचिका में पारित होने वाले अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे। आपत्तिकर्ता रियाज हुसैन छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड द्वारा अपनी आपत्ति में उच्च न्यायालय का हवाला देकर अविश्वास प्रस्ताव की कारवाई को आगे बढ़ाना आदेश की अवमानना बताया है। उक्त आपत्तियों के बावजूद देखने वाली बात है कि पीठासीन अधिकारी मार्टिन लकड़ा अवर सचिव पशुधन विभाग छत्तीसगढ़ शासन क्या निर्णय इन आपत्तियों का करते हैं।

पहली बार वक़्फ़ बोर्ड में आया अविश्वास प्रस्ताव
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में ये पहली बार है जब वक़्फ़ बोर्ड में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्ताव आया है। क्यों लाया गया है, कारण भी नहीं बताया गया, जबकि पूर्ववर्ती मामलों में कई भ्रष्टाचार के मामले होने के बाद भी कभी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया। साफ़ सुथरी छवि वाले अध्यक्ष के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जिसको लेकर मुस्लिम समाज में चर्चा का बाज़ार गर्म है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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