श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में बौद्धिक संपदा अधिकार पर वेबिनार का हुआ आयोजन

भिलाई-स्थानीय श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में आई पी आर सेल और आई क्यू ए सी के तत्वाधान में नेशनल वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता लेक्जी के विशेषज्ञ अमरीश चंद्रा थे।आयोजन समिति की संयोजक डॉ गुंजन जैसवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान समय में बौद्धिक संपदा को सुरक्षित और संरक्षित रखने का महत्व है।पेटेंट,कॉपी राइट,ट्रेड मार्क्स की बढ़ती आवश्यकता के आधार पर यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वास्तव में हमें इनकी जरूरत क्यों पड़ी है तथा इसके लिए प्रोसेस क्या होगी।
विशेषज्ञ अमरीश चंद्रा ने बताया कि आई पी आर के जरिए आविष्कारक या निर्माता को अपने सृजन या प्रोडक्ट की रक्षा के लिए कानूनी अधिकार मिलते हैं और यह सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक भी है। आई पी आर से नए उत्पादों के विकास को प्रोत्साहन भी मिलता है और गुणवत्ता की परख भी होती है। उन्होंने कहा कि पेटेंट एक वैधानिक अधिकार है जो सरकार द्वारा पेटेंट धारक को एक सीमित अवधि के लिए किसी आविष्कार के लिए दिया जाता है जिससे उसकी सहमति के बिना उस पेटेंट उत्पाद को बनाने,योग करने,बेचने या उत्पादित करने का प्रयास न कर सके। भारत में पेटेंट पंजीकरण की प्रक्रिया में पहले आवेदन तैयार करना होता है जिसमें सारी जानकारी देनी होती हैं।भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय में इसे जमा करना होता है।विशेषज्ञों की समिति द्वारा इसका परीक्षण किया जाता है, जांचा परखा जाता है।जब उत्पाद या प्रोसेस पेटेंट नियमों की कसौटी पर खरा होता है तब अस्थाई या स्थाई पेटेंट प्रदान किया जाता है।
इस अवसर पर आई क्यू ए सी की समन्वयक डॉ स्वर्णली दास पॉल ने बताया कि शोध कार्य के विभिन्न क्षेत्र होते हैं जिनमें कुछ सैद्धांतिक होते है जो केवल प्रकाशन तक सीमित रहते हैं।बहुत से शोध कार्य प्रायोगिक महत्व के होते हैं जो उत्पाद निर्माण और व्यावसायिक उपयोग के होते हैं। इसी कारण इनका पेटेंट आवश्यक हो जाता है।फार्मेसी में औषधियों के लिए शोध कार्य होता है यह पेटेंट जरूरी हो जाता है।पेटेंट आपकी मेहनत और अनुभव को सुरक्षित करता है। वेबिनार में विभिन्न महाविद्यालयों एवं फार्मेसी संस्थाओं के शोध छात्र तथा प्राध्यापक बड़ी संख्या में शामिल हुए।
श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति आई पी मिश्रा,कुलपति डॉ ए के झा ने वेबिनार के आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि आई पी आर आज की महती आवश्यकता है,नकली उत्पादों से गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।कार्यक्रम का संचालन डॉ परख सहगल ने किया।आयोजन को सफल बनाने में डॉ आशीष पांडे,डॉ रवि श्रीवास्तव तथा विभाग के प्राध्यापकों ने सक्रिय भागीदारी की।