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ब्रिक्स में शामिल होने की पाकिस्तान की उम्मीदों को जोरदार झटका, भारत की ना के सामने रूस-चीन को भी माननी पड़ी हार

नई दिल्ली

ब्रिक्स (BRICS) बैठक खत्म होने के साथ ही इस संगठन में शामिल होने की कोशिश में लगे पाकिस्तान का सपना चकनाचूर हो गया है. चीन और रूस के समर्थन के बावजूद पाकिस्तान को ब्रिक्स समूह में एंट्री नहीं मिली है. यहां तक कि पाकिस्तान को ब्रिक्स संगठन के नए पार्टनर देशों की लिस्ट में भी जगह नहीं मिली है. वहीं, तुर्की को पार्टनर देशों में शामिल किया गया है. पाकिस्तान ने पिछले साल ब्रिक्स की सदस्यता के लिए औपचारिक तौर पर आवेदन किया था.

चीन ने पाकिस्तान से किया था वादा

चीन और रूस ने पाकिस्तान को ब्रिक्स में शामिल करने का समर्थन किया था. ऐसा कहा जा रहा है कि भारत ब्रिक्स में पाकिस्तान की एंट्री को लेकर बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं था. तेजी से बढ़ती इकॉनमी और दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा देश भारत इस समूह का संस्थापक सदस्य है जिसमें शुरू में ब्राजील (B), रूस (R), भारत (I), चीन (C) शामिल था और बाद में इसमें दक्षिण अफ्रीका जुड़ गया जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका के नाम से उसके नाम का पहला अक्षर एस लिया गया है जिसके बाद संगठन ब्रिक्स कहलाने लगा.

चीन ने पाकिस्तान को ब्रिक्स में शामिल करने का भरोसा दिया था लेकिन पाकिस्तान को ब्रिक्स तो क्या उसके पार्टनर देशों की सूची में भी जगह नहीं मिली. चीन के अलावा रूस ने भी कहा था कि वह ब्रिक्स में पाकिस्तान की सदस्यता का समर्थन करता है.

पीएम मोदी ने पाकिस्तान को लेकर रूस-चीन को दिया संदेश?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ब्रिक्स में अधिक 'पार्टनर देशों' का स्वागत करने के लिए तैयार है लेकिन इस संबंध में फैसले सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए. 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने इशारों-इशारों में 9 सदस्यीय समूह में पाकिस्तान के प्रवेश के लिए रूस और चीन के समर्थन को लेकर भी अपना संदेश दे दिया. पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए. रूस और चीन के अलावा ब्रिक्स के दो अन्य संस्थापक देश भारत और ब्राजील हैं.

ब्रिक्स की बैठक में पीएम मोदी ने ब्रिक्स सदस्यों से आतंकवाद और आतंकियों को पालन-पोषण करने वाली ताकतों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान भी किया और कहा कि इस मुद्दे पर दोहरे मानदंड की कोई जगह नहीं है.

ब्रिक्स में नए सदस्यों को केवल आम सहमति से ही शामिल किया जाता है, इसलिए यह साफ था कि पाकिस्तान की सदस्यता के लिए भारत का विरोध समूह में शामिल होने की उसकी कोशिश को नाकाम कर सकता है, भले ही कुछ अन्य संस्थापक सदस्य इसके पक्ष में हों. जैसा कि उम्मीद थी कि भारत इस समूह में पाकिस्तान को शामिल करने को लेकर राजी नहीं हुआ. अधिकांश पाकिस्तानी नेताओं को उम्मीद थी कि रूस और चीन की मदद से पाकिस्तान ब्रिक्स में प्रवेश पाने में सफल हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

पाकिस्तान ने दी थी ब्रिक्स से जुड़ने की अर्जी

पाकिस्तान ने पिछले साल ब्रिक्स की सदस्यता के लिए औपचारिक तौर पर आवेदन किया था. ब्रिक्स में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के कुछ शीर्ष राजनयिकों ने समर्थन हासिल करने के लिए कई ब्रिक्स देशों का दौरा भी किया था.

पाकिस्तान ब्रिक्स में शामिल होकर दुनिया की प्रभावशाली अर्थव्यवस्थाओं के साथ अपना गठजोड़ करना चाहता है. ब्रिक्स में शामिल होने से पाकिस्तान को आर्थिक और कूटनीतिक दोनों तरह से बहुत कुछ हासिल होगा. लेकिन भारत के लिए यह किसी भी लिहाज से फायदेमंद नहीं होता क्योंकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध कम से कम पिछले पांच वर्षों से अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद से जूझ रहा भारत इस मोर्चे पर उसके साथ कोई संबंध नहीं चाहता है और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए कजान में भारत के रुख ने यह साफ कर दिया.

पाकिस्तान ने लगाया था आरोप

पिछले साल जून में पाकिस्तानी विदेश विभाग ने कहा था कि चीन में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित वार्ता में उसकी भागीदारी को 'एक सदस्य' द्वारा खारिज कर दिया गया था. हालांकि पाकिस्तान ने इस दौरान भारत का नाम नहीं लिया लेकिन उसने यह जरूर कहा था कि ब्रिक्स ब्लॉक को भविष्य में विकासशील दुनिया के हितों पर आधारित फैसले लेने चाहिए.

लेकिन इस बार पाकिस्तान को पूरी उम्मीद थी कि भारत के विरोध के बावजूद रूस और चीन के समर्थन से उसके लिए ब्रिक्स के दरवाजे खुलेंगे. ऐसा भी कहा जा रहा था कि भारत भी पाकिस्तान की ब्रिक्स सदस्यता का शायद समर्थन कर सकता है.

आपको बता दें कि सितंबर के महीने में जब रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक ने पाकिस्तान की यात्रा की तो उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान ऐलान किया था कि रूस ब्रिक्स सदस्यता के लिए पाकिस्तान के आवेदन का स्वागत करता है. कई विश्लेषकों ने ब्रिक्स में पाकिस्तान की सदस्यता के लिए रूस के समर्थन को भारत-अमेरिका की करीबी के जवाब के तौर पर भी देखा.

कैसे बना ब्रिक्स

इस गठबंधन की शुरुआत केवल पांच देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के साथ हुई थी लेकिन पिछले साल ब्रिक्स समूह ने चार नए सदस्यों मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को शामिल किया था जिसके बाद इसे ब्रिक्स प्लस के नाम से जाना जाने लगा.

कई देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं. पाकिस्तान भी इन देशों में से एक था. एक समूह के रूप में ब्रिक्स आज दुनिया की लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है. कई रिपोर्टों के अनुसार, जीडीपी के हिसाब से ब्रिक्स गुट के देश दुनिया भर की जीडीपी का लगभग 30 प्रतिशत हैं.

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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