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स्वास्थ्य

रोजाना 15 मिनट करें ये योगासन पेट की सभी बीमारियों से मिलेगा छुटकारा

कपालभाति: जब कपालभाती प्राणायाम की होती है तो इसे जीवन की संजीवनी कहा जाता है। कपालभाती प्राणायाम को सबसे कारगर माना जाता है। कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। योग के आसनों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली एक रोचक प्रक्रिया है। दिमाग आगे के हिस्सेे को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है। कपालभाती प्राणायाम करने के सही तरीके और इससे होने वाले फायदों के बारे में हम आपको बताते हैं।

कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की तरफ धक्का देना है। ध्यान रखें कि सांस लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में सांस अपने आप ही अंदर चली जाती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय मूल आधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना होता है। इससे मूल आधार चक्र जाग्रत होकर कुं‍डलिनी शक्ति जागृत होने में मदद मिलती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय ऐसा सोचना है कि हमारे शरीर के सारे नकारात्मनक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं। इसके नियमित अभ्या स करने से कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी पेट से संबंधित समस्या भी दूर हो जाती है। यहां तक कि पाइल्सा और फिशर की समस्या  भी जड़ से खत्मस हो जाती है।  

बालासन: बालासन को कई लोग शिशु आसन भी कहते हैं क्योंकि इस योगासन के अभ्यास में व्यक्ति का आकार छोटे शिशु की तरह हो जाता है। बालासन हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। ब्लड प्रेशर के मरीजों को कई बार शारीरिक और मानसिक थकावट का एहसास होता है। बालासन के अभ्यास से इस तरह की थकान से आपको राहत मिलती है। इसके अलावा कई बार हाई ब्लड प्रेशर के कारण लोगों को गुस्सा बहुत जल्दी आता है और स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। अगर ऐसे में मरीज बालासन का नियमित अभ्यास करता है, तो उसकी ये समस्या भी ठीक हो जाती है। बालासन के अभ्यास से शरीर के सभी विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और शरीर तनावमुक्त हो जाता है।

बालासन को करने के लिए सबसे पहले घुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं और शरीर का सारा भार एड़ियों पर डाल दें। अब गहरी सांस भरते हुए आगे की ओर झुकें। ध्यान रहे कि आपका सीना जांघों से छूना चाहिए। फिर अपने माथे से फर्श को छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड तक इस स्थिति में रहने के बाद वापस सामान्यम अवस्थाछ में आ जाएं।

बालासन के नियमित सही तरह से अभ्यास करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं, बाजुओं व शरीर से अतिरिक्त चर्बी दूर होती है और होती है और शरीर स्वस्थ बनता है। बालासन के अभ्यास से कब्ज में भी राहत मिलती है और पीठ के दर्द में आराम मिलता है। इसके अलावा इसके अभ्यास से तंत्रिका तंत्र को भी विश्राम मिलता है।

भुजंगासन: योग के बहुत फायदे हैं, योग से सकारात्मआकता तो आती है साथ ही यह बीमारियों को दूर कर आपको निरोग रखता है। योग का फायदा तभी मिलता है जब आप इसे सही तरीके से करते हैं। भुजंगासन एक ऐसा आसन है जिसमें कंधा अधिक मुड़ता है इसलिए इसे बैक बेंडिंग वाला आसन भी बोला जाता है। यह सर्वाइकल की समस्याअ दूर कर कमर को लचीला बनाता है। यह हाथों और पेट के लिए भी फायदेमंद है, पाचन शक्ति बढ़ती है। भुजंगासन नियमित रूप से करने से लंबाई भी बढ़ती है। भुजंगासन करने के लिए दोनों हाथों को बगल में रखें, पेट के बल लेटे हों। अपने सिर को ऊपर की तरफ धीरे-धीरे उठायें, घुटने जमीन पर हों, इस स्थिति में कुछ देर रुकें। अब घुटनों को और ऊपर की तरफ उठाइये और सांस लीजिए। फिर सामान्यघ स्थिति में वापिस आयें।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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