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छत्तीसगढ़-रायपुर में 400 करोड़ का बिल बकाया, उद्योग मालिकों को अब याद आई महंगी बिजली!

रायपुर.

छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन संघ के सदस्य आज उद्योगों को दी जा रही बिजली की दरें कम कराने की मांग करने अधिकारियों से मिलेगा. लेकिन ये मुलाकात तब हो रही है जब सैकड़ों उद्योग मालिकों ने करीब 400 करोड़ रुपए का बिजली बिल भुगतान नहीं किया है. अब सवाल ये है कि क्या उद्योग मालिकों को बढ़ी हुई बिजली की दरों की जानकारी नहीं थी ? और जब करोड़ों का बिजली बिल भुगतान करने की बारी आई तब मालिकों की नींद उड़ी और अब मुलाकातों का दौरा शुरू करने की कवाद शुरू की.

संघ का दावा है कि छत्तीसगढ़ में लौह उद्योग एक बार फिर से संकट में हैं. बिजली बिल की बढ़ी हुई दरों का बोझ नहीं उठा पाने के चलते धीरे-धीरे करके उद्योग बंद होते जा रहे हैं. उद्योग संघों की मानें तो लगभग 5 दर्जन से अधिक उद्योग मंदी के चलते बंद हो गए हैं. बड़ी संख्या में उद्योग बंद होने के कगार पर है. मिली जानकारी के अनुसार करीब 400 करोड़ रुपए बिजली बिल का भुगतान अटक गया है. दावा है कि यह भुगतान किसी आंदोलन के तहत नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते अटकने की बात सामने आई है. इस संबंध में उद्योग संघों का कहना है कि लंबे समय से बढ़ी हुई बिजली दर की मार झेल रहे हैं. अब नुकसान सिर से ऊपर जा रहा है. ऐसे में उद्योग बिजली बिल नहीं चुका पाने की स्थिति में आ गए हैं. छोटे ही नहीं बड़े उद्योगों की हालत भी खराब हो गई है.

आज अधिकारियों से मिलेगा संघ
उद्योग बंद होने और करोड़ों रुपए के बिल का भुगतान नहीं होने के बाद भी उद्योग संघ ने इस बार एकाएक कोई निर्णय नहीं लिया है. उद्योग संघ आपस में मिलकर चर्चा कर रहे हैं. पिछले दिनों से उद्योग और विद्युत विभाग के अधिकारियों से संपर्क में है. आज उद्योग संघ के प्रतिनिधि अधिकारियों से मिलकर अपनी बात रखेंगे. छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन संघ के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया की करीब 300 से 400 करोड़ का बिजली बिल अटक गया है. बिजली की बढ़ी दरों से अब तक 12 से 15 उद्योग बंद हो चुके है. करीब 300 से ज्यादा उद्योगो ने बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है. अक्टूबर महीने में 16 तारीख को सभी बिल पटाते है. वो बिल नहीं पटाया गया है. कुछ लोग लोड सरेंडर भी वापस कर करने की बात कर रहे है तो कुछ लोग मिनिमम में जा रहे है. इन्हीं सब मांग और बिजली की दर कम करने की मांग को लेकर आज अधिकारियों से बातचीत कर अपनी मांग रखेंगे.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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