RO.No. 13047/ 78
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

अब ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना में आयुर्वेद को औपचारिक रूप से शामिल करने की तैयारी शुरू

ब्रिटेन
ब्रिटेन में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। अब ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना (एनएचएस) में आयुर्वेद को औपचारिक रूप से शामिल करने की तैयारी शुरू हो गई है। एक सर्वदलीय कमेटी ने आयुर्वेद को एक प्रभावी और बेहतर चिकित्सा पद्धति बताते हुए इसकी सिफारिश की है। यह भारतीय आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए एक बड़ी खुशखबरी साबित हो सकती है। ब्रिटेन में अगले पांच साल में 10 हजार आयुर्वेदिक डॉक्टरों की भर्ती की जाएगी। साथ ही, ब्रिटेन में आयुर्वेद से संबंधित सौंदर्य, स्वास्थ्य और शैक्षणिक संस्थानों की संख्या भी पांच साल में 500 तक पहुंचने का अनुमान है।

आयुर्वेद को लेकर ब्रिटेन में बढ़ता रुझान
ब्रिटेन में आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में ब्रिटेन में आयुर्वेद से जुड़ी लगभग 100 संस्थान हैं, लेकिन अगले कुछ सालों में इनकी संख्या बढ़कर 500 हो सकती है। यह बदलाव खासकर सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है, जहां आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है।

भारतीय आयुर्वेदिक डिग्री को मान्यता
ब्रिटेन के आयुर्वेद सेंटर फॉर एक्सीलेंस (ACE) के प्रमुख अमरजीत सिंह ब्रह्मा ने बताया कि एनएचएस में आयुर्वेद को शामिल करने की प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो सकती है। इसके बाद भारत से भी आयुर्वेद के डॉक्टरों के लिए आवेदन किए जा सकते हैं, बशर्ते वे सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थानों से आयुर्वेद में डिग्री प्राप्त करें। इससे भारत के आयुर्वेदिक डॉक्टरों को लाभ होगा, क्योंकि वे ब्रिटेन में नौकरी के लिए आवेदन कर सकेंगे।

आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता
ब्रिटेन में हर 10 में से 6 लोग जीवन में कम से कम एक बार आयुर्वेद का इस्तेमाल कर चुके हैं। एसीई की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल के दौरान गूगल पर आयुर्वेद से जुड़ी खोजों में 380% की वृद्धि हुई है। ब्रिटेन में सबसे ज्यादा लोग स्किन और हेयर केयर के लिए आयुर्वेद को ढूंढ रहे हैं। इसके बाद पेट संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद का उपयोग सबसे ज्यादा देखा गया।

ब्रिटिश आयुर्वेदिक कॉलेज में छात्रों की संख्या में इजाफा
ब्रिटेन में आयुर्वेदिक शिक्षा लेने वाले छात्रों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। ब्रिटिश कॉलेज फॉर आयुर्वेद में इस साल दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में 70% का इजाफा हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि इन छात्रों में ब्रिटिश छात्रों के बाद दूसरे नंबर पर फ्रेंच और तीसरे नंबर पर जर्मन छात्र हैं, जो आयुर्वेदिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए ब्रिटेन आ रहे हैं।

अंत में बता दें कि ब्रिटेन में आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता और सरकार की ओर से इस पद्धति को औपचारिक मान्यता मिलने से भारतीय आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं। अगले पांच साल में 10,000 आयुर्वेदिक डॉक्टरों की भर्ती होने की संभावना है साथ ही आयुर्वेद से जुड़ी संस्थानों की संख्या में भी वृद्धि होने की उम्मीद है। यह भारतीय आयुर्वेद के लिए एक सकारात्मक कदम है और इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलने का संकेत भी है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button