लोकमाता अहिल्या बाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह का हुआ आयोजन
भिलाई-सरस्वती विहार स्कूल,हाउसिंग बोर्ड भिलाई में आज दिनांक 16 दिसंबर,सोमवार के दिन पुण्यश्लोका लोकमाता अहिल्या बाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह का आयोजन किया गया.इस आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में दिलेश्वर उमरे सह विभाग कार्यवाहक जिला दुर्ग उपस्थित थे.भारत माता एवं देवी सरस्वती के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पूजा अर्चना के पश्चात् कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ.
31 मई 1725 में जन्मी अहिल्या बाई होलकर के द्वारा किये गये सामाजिक,धार्मिक,नारी स्वावलंबन,आर्थिक स्वावलंबन के क्षेत्र में किये गये कार्यों के बारे में उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों को बताया.उन्होंने बताया कि अपने ससुर,पति और बेटे की मृत्यु के बाद 1767 में उन्होंने सम्पूर्ण प्रजा को अपना मानते हुए इंदौर का शासन नैतिक और धार्मिक रीति से सम्हाला.इंदौर की सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया.साथ ही उन्होंने सारे भारत में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किये गये 1030 से भी ज्यादा मंदिरों का जीर्णोद्वार करवाया.इन मंदिरों में सोमनाथ का मंदिर,बनारस का बाबा विश्वनाथ का मंदिर,केदारनाथ,बद्रीनाथ जैसे मंदिर शामिल है.कोलकाता से बनारस तक की सड़क,पुनर्जागरण केंद्र आदि का उन्होंने निर्माण करवाया.और इन्ही कार्यों की वजह से उन्हें पुण्य श्लोक लोकमाता कहा जाता है.उन्होंने बताया कि अहिल्या बाई के आलावा सिर्फ रजा युधिष्टर और राजा नल को पुण्य श्लोका की उपाधि मिली है.
उन्होंने विद्यार्थियों को कौवे के समान प्रयत्न करना,बगुले के सामान ध्यान लगाना,कुत्ते के बच्चो के समान कम सोना,भोजन कम करना और अहिल्या बाई द्वारा जीर्णोद्वार करवाए गये मंदिरों का भ्रमण करना.ऐसे पांच लक्षणों को आत्मसात करने का आग्रह किया.स्कूल समिति के अध्यक्ष छबिनाथ सिंग ने भी अपने विचार प्रकट किये.इस अवसर पर शिक्षक-शिक्षिकाओ,विद्यार्थी सहित विजय चौधरी,श्रीमती शैल तिवारी,श्रीमती मिठु चंदा,श्रीमती सुखविंदर कौर,रविन्द्रन पिल्लई,दिनेश पुरवार,श्रीमती रश्मि राजपूत,श्रीमती हेमलता सिंह,श्रीमती सुजाता पाणिग्रही,अजय केडिया,शम्भुनाथ साहा,रामजी साहू,श्याम विश्वकर्मा,पी.के.रॉय,दामोदर उपाध्याय,बी.के.दत्ता,आदि उपस्थित थे.