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अब कार्यवाहक राष्ट्रपति हान के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित, दक्षिण कोरिया में गहराया राजनीतिक संकट

सोल
साउथ कोरिया की नेशनल असेंबली ने शुक्रवार को कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया। उन्हें राष्ट्रपति यून सूक योल की जगह लिए अभी दो सप्ताह का समय भी पूरा नहीं हुआ था। यून के खिलाफ भी मार्शल लॉ लागू करने के लिए महाभियोग प्रस्ताव पारित हुआ था। हान पर महाभियोग लगाने का प्रस्ताव 192-0 मतों से सर्वसम्मति से पारित हुआ, यह पहली बार था जब संसद द्वारा किसी कार्यवाहक राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया गया।

महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के बाद हान को उनके कर्तव्यों से निलंबित कर दिया गया। अब उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री चोई सांग-मोक कार्यवाहक राष्ट्रपति और कार्यवाहक प्रधानमंत्री दोनों के रूप में कार्य करेंगे। हान ने एक बयान में कहा, "मैं नेशनल असेंबली के फैसले का सम्मान करता हूं और भ्रम और अनिश्चितता को बढ़ाने से बचने के लिए, मैं प्रासंगिक कानूनों के अनुसार अपने कर्तव्यों को निलंबित करूंगा, और संवैधानिक न्यायालय के तेज और बुद्धिमान निर्णय की प्रतीक्षा करूंगा।"

योनहाप समाचार एजेंसी ने बताया, सत्तारूढ़ 'पीपुल पावर पार्टी' (पीपीपी) ने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि मतदान अमान्य था। पीपीपी का कहना था कि महाभियोग के लिए कोरम 151 मतों के साधारण बहुमत पर निर्धारित किया गया, जो कैबिनेट मंत्रियों पर लागू होता है, ना कि 200 मतों के दो-तिहाई बहुमत पर, जो राष्ट्रपति पर लागू होता है। मतदान से ठीक पहले नेशनल असेंबली के स्पीकर वू वोन-शिक ने कोरम की घोषणा की, जिसके बाद पीपीपी के सांसदों ने स्पीकर की सीट को घेर लिया और 'अमान्य और अमान्य' चिल्लाने लगे। हान के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव मुख्य विपक्षी 'डेमोक्रेटिक पार्टी' (डीपी) की ओर से पेश किया गया था क्योंकि उन्होंने संवैधानिक न्यायालय में अतिरिक्त जजे की नियुक्ति करने से इनकार कर दिया था। संवैधानिक न्यायालय यून के महाभियोग परीक्षण का फैसला करेगा।

डीपी ने उनके महाभियोग के लिए पांच कारण सूचीबद्ध किए, जिनमें जजों की नियुक्ति करने से इनकार करना, यून के मार्शल लॉ लगाने में उनकी भागीदारी, यून और प्रथम महिला किम कीन ही को टारगेट करने वाले दो स्पेशल काउंसेल बिल को लागू करने से इनकार करना शामिल है। न्यायालय में वर्तमान में केवल छह जज हैं। कानून के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव को बरकरार रखने के लिए कम से कम छह वोटों की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ है कि तीन अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति से यून के महाभियोग को बरकरार रखने की संभावना बढ़ सकती है।

हान के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने के कुछ समय बाद ही पीपीपी ने महाभियोग को निरस्त करने के लिए संवैधानिक न्यायालय में निषेधाज्ञा दायर की। बता दें राष्ट्रपति यून ने 03 दिसंबर की रात को दक्षिण कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की, लेकिन बुधवार को संसद द्वारा इसके खिलाफ मतदान किए जाने के बाद इसे निरस्त कर दिया गया। मार्शल लॉ कुछ घंटों के लिए ही लागू रहा। हालांकि चंद घटों के लिए लागू हुए मार्शल लॉ ने देश की राजनीति को हिला कर रख दिया।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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