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राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

भाषायी बंधनों से उठकर चिकित्सा विद्यार्थियों को मिल रहा समान अवसर

भोपाल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन है कि उच्च शिक्षा भारतीय भाषा में भी प्रदान की जाये, जिससे देश के हर कोने से आने वाले विद्यार्थियों को बराबरी का अवसर मिल सके। इस दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार ने अन्य उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों के साथ ही चिकित्सा शिक्षा को भी हिंदी भाषा में सुलभ करने का प्रयास किया है।

आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने मेडिकल, डेंटल, पैरामेडिकल आदि सभी संकायों की परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों को हिंदी एवं अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में अनुवाद कर विद्यार्थियों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। इससे विषयवस्तु में निपुण लेकिन अंग्रेजी भाषा में कमजोर विद्यार्थी पिछड़ जाते थे। अब ऐसे विद्यार्थी आत्म-विश्वास के साथ परीक्षा में भाग ले पा रहे हैं।

विद्यार्थियों को हिंदी भाषा में उत्तर लिखने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। इससे वे अपनी बात सरलता व स्पष्टता से लिख पा रहे हैं। यही नहीं, प्रायोगिक परीक्षाओं में भी छात्रों को हिंदी में उत्तर देने की अनुमति दी गई है। इससे व्यावहारिक ज्ञान का मूल्यांकन भाषाई सुविधा के अनुरूप हो सकेगा। सिर्फ परीक्षा ही नहीं, बल्कि अध्ययन-सामग्री के स्तर पर भी यह परिवर्तन लाया गया है। राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों की लाइब्रेरी में हिंदी भाषा में चिकित्सा की पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं। इससे हिंदी भाषी विद्यार्थियों को विषय के गहन अध्ययन में कोई बाधा नहीं आएगी।

मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर देश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है, जिसने चिकित्सा शिक्षा को हिंदी भाषा में प्रदान करने का कार्य किया है। यह निर्णय विशेषकर उन विद्यार्थियों के लिए एक वरदान सिद्ध हो रहा है, जो प्रतिभाशाली होते हुए भी अंग्रेजी में दक्ष न होने के कारण पीछे रह जाते थे। अब उन्हें मातृभाषा में न केवल अध्ययन करने, बल्कि आत्म-विश्वास से परीक्षा में भाग लेने का अवसर मिल रहा है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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