राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

1565 करोड़ रुपए से डायल-100 के 1200 नए वाहन खरीदेगी सरकार

भोपाल

मध्य प्रदेश में पुलिस की खटारा हो चुकी डायल- 100 व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। डायल 100 में लगी पुरानी गाड़ियों को बदलकर अब नई गाड़ी खरीदने की तैयारी शुरू हो गई है। जिसको लेकर 1500 करोड़ रूपए का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसमें कुल 1200 गाड़ियां खरीदी जाएंगी।शहर और गांवों को लेकर कौन- कौन सी गाड़ियां खरीदी जाएंगी। इसको लेकर विस्तार से चर्चा अभी बाकी है। वित्त व गृह विभाग ने प्रस्ताव कैबिनेट में रखने का फैसला लिया है।

वित्त विभाग से मिली स्वीकृति
पीएचक्यू की ओर से बनाए गए प्रस्ताव पर एसीएस होम एसएन मिश्रा सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक हुई। जहां से प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा कर वित्तिय स्वीकृत के लिए भेजा गया। सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग से भी स्वीकृति मिल चुकी है। वित्त विभाग ने स्वीकृति देकर प्रस्ताव को फिर से गृह विभाग के पास भेज दिया है। अब किसी भी कैबिनेट में प्रस्ताव को रखा जा सकता है।

नए टेंडर में बढ़ाई जाएंगी सुविधाएं
-गांव-शहर के लिए अलग-अलग हाईटेक वाहनों का होगा चयन।
-कॉल सेंटर से फोन उठाने वालों की संख्या में होगा इजाफा।
-गाड़ियों में होगी मैपिंग की सुविधा, जिससे लोकेशन ट्रैस करना हो आसान।
-वाहनों पर सीसीटीवी कैमरे और पुलिसकर्मियों को दिए जाएंगे बॉडीवार्न कैमरे।

एक बार टेंडर प्रक्रिया हो चुकी है रद्द
नए वाहनों को लेकर साल 2021 से चल रही टेंडर प्रक्रिया को सरकार ने रद्द कर दिया था। इसके बाद 2024 में फिर पीएचक्यू की ओर से नए सिरे से डीपीआर तैयार कराया गया है।

डीजी कमेटी में बनेंगी टेंडर की शर्ते
कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद पीएचक्यू एक कमेटी बनाएगी जोकि टेंडर से जुड़ी शर्तें जैसे गाड़ियों का ग्राउंड क्लियरेंस, मॉडल तय करेगी। कमेटी की सिफारिश पर टेंडर जारी होंगे।

डॉयल-100 सेवा का पहला चरण नवंबर 2015 में शुरू हुआ था, जिसकी अवधि मार्च 2025 में समाप्त हो रही है। अभी सेवा में 1000 वाहन हैं, पर मेंटेनेंस न होने से 100 से अधिक गाड़ियां कंडम होकर ऑफरोड हो चुकी हैं। बाकी खस्ताहाल हैं। इसके अलावा प्रदेश को 3 साल के भीतर गरीबी मुक्त करने के लिए गरीब कल्याण मिशन चलाने को भी मंजूरी दी गई।

नई डायल-100 की जरूरत, क्योंकि जो अभी हैं, कबाड़ हैं

    नए वाहन मोबाइल डिवाइस टर्मिनल, बॉडी-वॉर्न कैमरे और डैशबोर्ड कैमरों से लैस होंगे। इससे स्टेट कमांड सेंटर सीधे घटनास्थल की निगरानी कर पाएगा।

    कॉलर नंबर मास्किंग सिस्टम लागू होगा। ताकि सूचना देने वाले व्यक्ति की गोपनीयता की रक्षा हो सके।

    डायल-100 का औसत रिस्पॉन्स टाइम 10 से 15 मिनट है, पर मौजूदा स्थिति में यह 20 से 30 मिनट हो गया है। पुरानी गाड़ियों की हालत ऐसी है कि बदमाश वारदात के बाद फरार हो जाते हैं, जबकि पुरानी डायल-100 की सांसें फूल जाती हैं।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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