राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

भारत ने पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को भी झटका दिया, इंडोनेशिया बेचेगा ब्रह्मोस मिसाइल

नई दिल्ली

भारत ने पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को भी झटका दिया है। इंडोनेशिया से रिश्तों को प्रगाढ़ बनाकर दोनों ही देशों को कूटनीतिक संदेश दिया है। भारत इंडोनेशिया से रक्षा संबंधों को मजबूत बनाकर जहां हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की घेराबंदी कर रहा है, वहीं दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया से भारत की दोस्ती पाकिस्तान के लिए झटका है।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत हिन्द महासागर में चीन की चुनौती से निपटने के लिए आसियान देशों से रिश्ते मजबूत कर रहा है। भारत की एक्ट ईस्ट नीति भी इसी दिशा में है। इंडोनेशिया इस नीति का महत्वपूर्ण स्तंभ है। भारत की नीति है कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में बसे देशों के साथ रक्षा व व्यापारिक संबंध मजबूत किए जाएं ताकि चीन का दखल कम हो। इस दिशा में इंडोनेशिया से मजबूत रिश्ते चीन के प्रभाव कम करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।

दूसरी तरफ पाकिस्तान इस्लामिक देशों से मिलकर कश्मीर व अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर नए-नए षडयंत्रों को अंजाम देता है। पर भारत की कूटनीति ने इस मामले में भी पाक को अलग-थलग कर दिया है।
मोदी कर चुके हैं दौरा

पीएम मोदी ने 2018 में इंडोनेशिया का आधिकारिक दौरा किया था। तब दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया। इसके अलावा मोदी ने पिछले साल रियो डी जनेरियो में राष्ट्रपति प्रोबोवो से मुलाकात की थी।
रक्षा समेत हर क्षेत्र में बढ़ रहा सहयोग

2018 में दोनों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने को एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं। दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त युद्धाभ्यास भी करती हैं। 1997 से अंतरिक्ष क्षेत्र में भी सहयोग चल रहा है। भारत इंडोनेशिया को दवाएं तथा चिकित्सा उपकरणों का भी निर्यात करता है। अपोलो समूह वहां अस्पतालों की स्थापना में मदद कर रहा है।
समझौतों पर सहमति

राष्ट्रपति प्रोबोवो यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। इस दौरान राजनीति, रक्षा, सुरक्षा सहयोग, व्यापार आदि विषयों पर चर्चा होगी। कई समझौतें होंगे व कुछ घोषणाएं भी की जा सकती है।

भारत ने चौथी बार इंडोनेशिया को 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनाया है। राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांतो तीन दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंच चुके हैं। इस दौरान भारत इंडोनेशिया को ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की बेचने के फैसले को अंतिम रूप दे सकता है। राष्ट्रपति बनने के बाद प्रोबोवो की हालांकि यह पहली भारत यात्रा है। सुबियांतो के साथ 352 सदस्यों का मार्चिंग और बैंड दस्ता भी आ रहा है जो गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेगा। यह पहला मौका है जब इंडोनेशिया का मार्चिंग और बैंड दस्ता किसी देश के राष्ट्रीय समारोह में हिस्सा लेगा।
हिंद-प्रशांत देशों का कवच बनेगी ब्रह्मोस

भारत में निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बसे अनेक देशों को चीन से आत्मरक्षा के लिए सुरक्षा कवच देगी। फिलीपींस के बाद अब इंडोनेशिया भी भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने जा रहा है। दो अन्य देशों मलेशिया और वियतनाम ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है, जबकि थाइलैंड की तरफ से भी संकेत मिल रहे हैं।

रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन डीके शर्मा के अनुसार फिलीपींस हो या इंडोनेशिया, ये सभी देश प्रशांत महासागर के दक्षिणी भाग (दक्षिण चीन सागर) में चीन के पोतों की गतिविधियों से परेशान हैं। चीनी पोत इन देशों की समुद्री सीमा में प्रवेश कर एकाधिकार कायम करने की कोशिश करते हैं। हालात यह हैं कि इन देशों के मछुआरे अपने समुद्री क्षेत्र में मछली तक नहीं पकड़ पाते। अभी तक इन देशों की अपनी रक्षा तैयारियां कमजोर थीं इसलिए वे चीनी पोतों की आक्रामकता से निपटने के लिए अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं। इसी कारण पहले फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदी और अब इंडोनेशिया भी ऐसा करने जा रहा है। आगे और देश भी खरीदेंगे।

सूत्रों की माने तो इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांतों की भारत यात्रा में दोनों देशों के बीच 45 करोड़ डॉलर के ब्रह्मोस खरीद सौदे को मंजूरी मिल सकती है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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