राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

IAS अफसर नेहा मारव्या सिंह का 14 साल बाद वनवास खत्म, बनीं डिंडोरी कलेक्टर

भोपाल
 मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा प्रताड़ित अधिकारियों में शुमार आईएएस नेहा मारव्या सिंह के दर्द को आखिरकार दवा मिल ही गई। वर्ष 2011 बैच की अपर सचिव स्तर की अधिकारी को अब जाकर कलेक्टरी मिली है। उन्हें काफी देर समय बाद कलेक्टर बनाया गया है, जबकि वर्ष 2015 बैच के अफसरों को कलेक्टरी मिलने लगी है। डॉ. मोहन यादव सरकार में उन्हें वह तोहफा मिला है, जिसके लिए वे शिवराज सरकार में काफी परेशान दिखती थीं।

2011 बैच की आईएएस अधिकारी हैं नेहा मारव्या सिंह

2011 बैच की आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या सिंह को कलेक्टरी का मौका नहीं मिल पा रहा था। पिछले महीने आईएएस सर्विस मीट के पहले दिन आईएएस आफिसर्स एसोसिएशन के ग्रुप में नेहा ने अपना दर्द लिखकर जाहिर किया था। यह बात मीडिया में वायरल भी हुई थी। ताजा तबादलों में अब नेहा मारव्या को डिंडोरी कलेक्टर पदस्थ किया गया है।

ईमानदारी की वजह से ज्यादा है विवाद

नेहा खुद को बड़ा ईमानदार अफसर कहती हैं। वे कहती हैं कि नेहा मारव्या गलत नहीं करती हैं। साथ ही किसी के प्रेशर में आकर कोई काम नहीं करती हैं। वे अक्सर फाइलें रोक देती थीं। इस कारण सीनियर्स से उनका विवाद होता था। वर्ष 2017 में आईएएस नेहा मारव्या शिवपुरी जिला पंचायत की सीईओ बनाया गया था। उस दौरान शिवपुरी कलेक्टर जिस सफारी गाड़ी का उपयोग करते थे, उसका बिल रोक दिया था। वहीं, गाड़ी भाड़े पर थी। उसके बदले में हर महीने 24,700 रुपए का भुगतान होता था।

नेहा मारव्या ने इस पर आपत्ति लेते हुए बिल इसलिए रोक दिया था कि निर्धारित रेट 18,000 रुपए हैं, ऐसे में 24,7000 रुपए का भुगतान नहीं किया जाएगा। चार महीने तक नेहा मारव्या ने गाड़ी का भुगतान नहीं होने दिया। मामला उलझा तो तत्कालीन कलेक्टर नेहा मारव्या को लिखा कि आप 18,000 रुपए के हिसाब से भुगतान कीजिए, बाकी की राशि मैं अपने व्यक्तिगत खाते से करता हूं।

तत्कालीन सीएम के पीएस से हो गई भिड़ंत

मध्य प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की एडिशनल सीईओ रहने के दौरान उन्होंने वन विभाग के सीसीएफ पद से रिटायर हुए ललित बेलवाल के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी। कथित रूप से बेलवाल तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी थे। बेलवाल के खिलाफ भर्ती में फर्जीवाड़ा का आरोप था। नेहा मारव्या ने इन आरोपों को सही करार देते हुए एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा कर दी थी। तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के पीएस मनीष रस्तोगी पर भी नेहा मारव्या ने बड़ा आरोप लगाया था। उस समय मनीष रस्तोगी राजस्व विभाग के प्रमुख थे। नेहा मारव्या ने कहा था कि उन्होंने ऑफिस से मुझे गेट आउट कहकर निकाल दिया। साथ ही गाड़ी की भी व्यवस्था नहीं की। उस समय भी वह खूब सुर्खियों में रहीं।

तत्कालीन मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से भी उनका बिगाड़ हो गया था। नेहा मारव्या शिवपुरी में आयोजित उनके कार्यक्रम में नहीं पहुंची थीं। इसके साथ ही कृषि विभाग में आने पर नेहा मारव्या पर कई ड्राइवर बदलने के आरोप लगे थे।

सरकार हो जाती थी परेशान

नेहा मारव्या की 'मनमानी' कई बार सरकार के लिए सिरदर्द बनती थी। इस कारण उन्हें कलेक्टरी नहीं मिल पाती थी। दिसंबर 2024 में उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि उनके पास नौ महीने से कोई काम नहीं है। वह सिर्फ ऑफिस से घर और घर से ऑफिस आ जा रही हैं। 14 साल की नौकरी में उन्हें कभी कलेक्टर नहीं बनाया गया है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button