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भारत ने कई बार चिंता जताई है और जस्टिन ट्रूडो सरकार से ऐक्शन की अपील भी की, जाने सर्वे में क्या निकला

ओटावा
कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर भारत ने कई बार चिंता जताई है और जस्टिन ट्रूडो सरकार से ऐक्शन की अपील भी की है। इस बीच एक सर्वे भी आया है, जो बताता है कि आखिर कनाडा में लोग खालिस्तानियों के बारे में क्या सोचते हैं। सर्वे में तीन चौथाई यानी 75 फीसदी लोगों ने कहा कि सरकार को ऐसी गतिविधियों को कनाडा की जमीन पर नहीं होने देना चाहिए। किसी दूसरे देश को लेकर कनाडा से एजेंडा चलाना ठीक नहीं है। एजेंसी लेगर की ओर से किए गए सर्वे में कहा गया, 'सिख अलगाववादी गतिविधियों को 10 फीसदी लोगों ने ही समर्थन किया, जो काफी कम आंकड़ा है। वहीं 54 फीसदी लोगों ने इसका विरोध किया। इसके अलावा 72 फीसदी लोगों ने मांग की है कि दूसरे देश के खिलाफ चलने वाले एजेंडे को रोकने की जरूरत है।

यह सर्वे इस बात को जानने के लिए किया गया था कि आखिर कनाडा के मामलों में भारत की ओर से आंतरिक दखल के आरोपों पर लोगों की क्या राय है। इसे लेकर 53 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें इन आरोपों की जानकारी है। वहीं 68 फीसदी लोगों ने कहा कि यह चिंता की बात है। ऐसा नहीं होना चाहिए। वहीं कनाडा के 30 फीसदी लोगों ने कहा कि सिख समुदाय को खालिस्तानी गतिविधियों को चलते गैर-जरूरी जांच से गुजरना पड़ता है। वहीं 33 फीसदी लोगों ने इस बात से इनकार किया तो वहीं 37 फीसदी लोगों ने कहा कि वह इसे लेकर अनिश्चित हैं। दरअसल कनाडा ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि उसकी चुनावी प्रक्रिया में दखल देने वाले देशों में भारत दूसरे नंबर पर हैं। वहीं चीन पहले पायदान पर है।

सर्वे में कुछ लोगों ने यह भी कहा कि भारत खालिस्तान को लेकर दो समूहों के बीच अंतर नहीं कर पा रहा है। एक समूह ऐसा है, जो खालिस्तानी विचारधारा का समर्थक है। वहीं दूसरे समूह ऐसा है, जो हिंसक गतिविधियां भी करता है। भारत इन दोनों को मिलाकर देखता है। लेकिन सर्वे से साफ है कि कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों के संचालन को लोगों ने स्वीकार किया है। यही नहीं वे मानते हैं कि जस्टिन ट्रूडो सरकार को इन पर रोक लगानी चाहिए। हालांकि भारत के साथ अच्छे रिश्ते रखने के भी कनाडा के लोग पक्षधर हैं। बता दें कि खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा में तनाव बढ़ा हुआ है। बीते साल कनाडा ने भारत पर निज्जर हत्याकांड में शामिल होने के आरोप लगाए थे, लेकिन वह अब तक साबित नहीं कर सका है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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