राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

भारतीय नस्ल की गाय 40 करोड़ में बिकी, गाय के लिए लगी अब तक की सबसे महंगी बोली, सारे रिकॉर्ड तोड़े

नई दिल्ली
ब्राजील में लगे पशुओं के मेले में भारतीय नस्ल की एक गाय 40 करोड़ रुपये में बिकी है। यह किसी भी गाय के लिए लगी अब तक की सबसे महंगी बोली है, जिसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह बना ली है। यह बोली ब्राजील के मिनास गेरैस में लगी, जहां एक ग्राहक ने वियाटिना-19 नाम की गाय के लिए इतनी ऊंची बोली लगा दी। गाय का वजन 1101 किलो पाया गया है, जो इस नस्ल की अन्य गायों की तुलना में लगभग दोगुना है। नेल्लोर नस्ल की यह गाय चर्चा में आ गई है। यह नस्ल भारत के आंध प्रदेश, तेलंगाना में पाई जाती है। वियाटिना-19 नाम की गाय ने पूरी दुनिया में पहचान हासिल की है। इसकी पहचान असाधारण जीन और शारीरिक सुंदर के लिए है। इस गाय ने मिस साउथ अमेरिका का टाइटल भी जीता था।

इसके बाद से ही यह गया चर्चा में है। दुनिया के कई देशों में इस गाय की संतानों को लोग लेकर गए हैं ताकि अच्छी नस्ल गायें तैयार की जा सकें। यही वजह है कि जब इस गाय के लिए बोली लगाई गई तो एक ग्राहक ने 40 करोड़ रुपये तक का ऊंचा मूल्य चुकाने का फैसला लिया। नेल्लोर नस्ल की गायों को ऑन्गोल ब्रीड के तौर पर भी जाना जाता है। इन गायों की विशेषता यह है कि ये बेहद कठिन और गर्म परिस्थितियों में भी रह सकती हैं। इनकी दूध देने की क्षमता प्रभावित नहीं होती। आमतौर पर अत्यधिक गर्म मौमस में गायों का दूध कम हो जाता है। इसके अलावा नेल्लोर नस्ल की गायों की इम्युनिटी भी शानदार होती है और वे बीमारियों से लड़ पाती हैं। यही कारण है कि इनकी दुनिया भर में लोकप्रियता काफी अधिक है।

यह गाय बेहद कम देखभाल के साथ भी कठिन परिस्थिति वाले इलाकों में रह लेती हैं। सफेद फर और कंधे पर ऊंचे हंप वाली इन गायों की यह विशेषता है कि ये ऊंटों की तरह लंबे समय तक के लिए खाने और पीने की सामग्री को स्टोर कर लेती हैं। इसके चलते इनका रेगिस्तान, गर्म वाले इलाकों में रहना आसान होता है। यही कारण है कि पूरी दुनिया में नेल्लोर नस्ल की गायों की मांग बढ़ गई है। कई बार चारे आदि की कमी पर पशुओं के लिए सर्वाइव करना मुश्किल होता है। ऐसे में ये गायें एक अच्छा विकल्प हैं। ये गायें फैट की स्टोरेज कर लेती हैं। इसे कठिन परिस्थितियों में भी उनके स्वास्थ्य पर ज्यादा असर नहीं दिखता।

नेल्लोर नस्ल की गाय की इतनी ऊंची बोली लगने से साफ है कि इनकी डिमांड काफी तेज है। इन गायों का बीमारियों से बचाव का प्रतिरोधी तंत्र काफी मजबूत होता है। इसके अलावा उनका गर्म मौसम में रहना बहुत कठिन नहीं है। इन गायों की रोग प्रतिरोधक क्षमता ऐसी होती है कि उन्हें कम से कम मेडिकल केयर की जरूरत रहती है। बता दें कि साहीवाल, नेल्लोर, पेंगनूर और बदरी गाय समेत देश में ऐसी कई नस्लें हैं, जिनकी भारत समेत दुनिया भर के देशों में काफी ज्यादा डिमांड है। नेल्लोर नस्ल की गायों को ब्राजील में भी बड़े पैमाने पर पाला जाता है। वर्ष 1800 से ही ब्राजील में इनका पालन हो रहा है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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