RO.NO. 13207/103
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

मध्य प्रदेश में धान खरीद और मिलिंग में बड़े घोटाले की रकम 150 करोड़ रुपये के पार

 भोपाल
 धान खरीद और मिलिंग में घोटाला अब तक डेढ़ सौ करोड़ रुपये की राशि पार कर गया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा प्रदेश में धान खरीदी समितियां के विरुद्ध की जा रही जांच में खुलासा हुआ कि ऐसा घोटाला पहली बार नहीं हुआ है बल्कि आशंका यह है कि यह बरसों से चला आ रहा है। फिलहाल अब तक 60 हजार क्विंटल धान की हेराफेरी उजागर हुई है।

समितियों व अधिकारियों की मिलीभगत से धान की खरीद से लेकर गोदाम तक में इंट्री कागजों में बता दी जाती है। इनके परिवहन का पैसा भी ये लोग मिलजुलकर हड़प कर लेते हैं। ऐसा ही मामला पकड़ में आ चुका है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ अब तक 38 समितियां के विरुद्ध एफआईआर कर चुका है।

इसमें 135 व्यक्तियों को आरोपित बनाया गया है। बालाघाट, सतना, सीधी, मैहर, डिंडौरी, सागर, पन्ना और सिवनी में यह गड़बड़ी मिली है। सिवनी में शकुंतला देवी राइस मिल के विरुद्ध भी आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है।

कई राज्यों की बोरी मिली

ईओडब्ल्यू की जांच में राइस मिल से कई राज्यों की बोरियां बरामद हुई हैं। इनमें पाया गया कि इस वर्ष जिस मात्रा में राइस मिलों को धान दिया गया था, वह कम मिला। इसके साथ ही 2297 क्विंटल चावल हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र,बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा की बोरियों में पाया गया है।

चार साल पहले भी सामने आया था चावल घोटाला

चार साल पहले भी चावल घोटाला सामने आया था लेकिन उसमें कोई भी मिल संचालक जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था। तब 22 जिलों के गोदामों में 73 हजार 540 टन पोल्ट्री ग्रेड का चावल मिला था। तीन सौ करोड़ के इस चावल घोटाले में सरकारी गोदामों तक घटिया (पोल्ट्री ग्रेड) चावल मिलर ने ही पहुंचाया था।

ये चावल कोरोना काल में 22 जिलों में गरीब व प्रवासी मजदूरों को बांटने के लिए रखा गया था। इन जिलों के गोदामों में 73 हजार 540 टन से अधिक निम्न गुणवत्ता का चावल मिला था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस चावल के वितरण पर नाराजगी जताई थी। इतना बड़ा घोटाला सरकारी गोदाम के कर्मचारियों, मिलर और अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर संभव नहीं था।

सरकार ने गठित किए जांच दल

इधर, समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन के सत्यापन एवं अन्य शिकायतों पर जांच दल गठित कर कार्रवाई करने के निर्देश कलेक्टरों को दिए गए हैं। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने विस्तृत जांच के निर्देश देते हुए सात दिनों के अंदर विस्तृत रिपोर्ट की अपेक्षा की है।

अपर कलेक्टर करेंगे जांच दल का नेतृत्व

जांच दल के अध्यक्ष कलेक्टर द्वारा नामांकित अपर, संयुक्त या डिप्टी कलेक्टर होंगे। जिला आपूर्ति नियंत्रक या खाद्य अधिकारी संयोजक होंगे। उप/सहायक आयुक्त सहकारिता/ महाप्रबंधक जिला केंद्रीय सहकारी बैंक जिला प्रबंधक मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन और जिला प्रबंधक मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग और लाजिस्टिक्स कार्पोरेशन सदस्य होंगे।

जांच दल द्वारा उपार्जित धान, धान परिवहन, धान जमा, धान कमी की मात्रा, मिलर्स को भुगतान की स्थिति, मिलवार धान प्रदाय की मात्रा, धान उठाव की मात्रा और मिलवार सीएमआर जमा मात्रा की विस्तृत जांच की जाएगी।

कम मात्रा में जमा होने की जांच हो : राजपूत

खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने निर्देश दिया है कि गोदामों में धान कम मात्रा में जमा होने के कारणों की जांच कराई जाए एवं संबंधित उपार्जन समिति/परिवहनकर्ता आदि से शार्टेज मात्रा की वसूली कर संबंधित किसानों को भुगतान किया जाए। उपार्जन केंद्रों पर धान की शार्टेज की प्रतिपूर्ति बाजार एवं अन्य माध्यमों से कदापि न कराई जाए।

धान परिवहन में उपयोग किए गए वाहनों की ट्रैकिंग एवं डाटा जिले से एवं टोल नाकों से प्राप्त करें। जिला परिवहन अधिकारी के माध्यम से धान परिवहन में उपयोग किए गए वाहनों की श्रेणी, प्रकार और लोडिंग क्षमता की जानकारी प्राप्त करें।

इन बिंदुओं पर जांच कर अनियमितता पाए जाने पर नियमानुसार तत्काल संबंधित के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करें। जांच के दौरान जिला प्रबंधक सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन द्वारा मिलों को धान के नए डिलेवरी आर्डर जारी नहीं किए जाएंगे।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO. 13207/103

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button