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नवरात्रि पूजा के लिए खास: जली बाती, नारियल और कलश का सही तरीका

नवरात्रि का पर्व पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि खास तौर पर मां दुर्गा की साधना के लिए बहुत शुभ मानी जाती है. इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं और उन्हें फूल, नारियल, चुनरी, वस्त्र और दीपक आदि अर्पित करते हैं, लेकिन जब नवरात्रि खत्म होती है तो ज्यादातर लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि आखिर पूजा में चढ़ाई गई चीजों का क्या करना चाहिए? क्या इन्हें ऐसे ही फेंक देना सही है या इसके लिए कुछ खास नियम बताए गए हैं? इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि पूजा के बाद जली हुई बाती, नारियल, फूल, कलश, चुनरी और कपड़े का सही तरीका क्या है. 

देवी पूजा के लिए जलाई हुई बाती का क्या करें?
नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा में जो बाती जलाई जाती है, उसे कभी भी कचरे में नहीं फेंकना चाहिए. चाहे वह आधी जली हो या पूरी, सभी बातियों को इकट्ठा करके पवित्र स्थान पर रख लें. नवरात्रि के आखिरी दिन इसमें कपूर, लौंग और थोड़ा सा घी डालकर दोबारा जलाएं. इसे घर में घुमाने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मकता बढ़ती है. बाद में बची हुई राख को पौधे वाले गमले में डाल दें. मान्यता है कि यह भूत नजर दोष से बचाती है.

माता को चढ़ाए गए फूलों का क्या करें?
फूलों में देवी की ऊर्जा मानी जाती है. इन्हें कहीं भी फेंकने की बजाय प्रसाद मानकर अपने धन स्थान या पूजा घर में रखें. बाकी फूलों को गमले या पौधे में डाल दें ताकि वह खाद के रूप में काम आ सके. यह तरीका पर्यावरण के लिए भी अच्छा माना जाता है.

नवरात्रि पूजा के कलश का क्या करें?
पूजा के बाद कलश का जल परिवार और घर में छिड़कें. यह घर में शुभ ऊर्जा का प्रसार करता है. बचा हुआ जल पौधों में डाल दें. कलश में रखे सिक्कों को लाल कपड़े में बांधकर धन स्थान पर रखें. इसे देवी का आशीर्वाद माना जाता है.

नारियल का क्या करें?
मां दुर्गा की पूजा में चढ़ाया गया नारियल बहुत पवित्र माना जाता है. इसे परिवार के सभी सदस्यों और मित्रों में प्रसाद के रूप में बांट दें, अगर नारियल सूख गया हो तो नदी या समुद्र में प्रवाहित कर दें, अगर नारियल फोड़ने पर खराब निकल जाए तो इसे भूमि में दबा दें. मान्यता है कि ऐसा नारियल आपके कष्टों को अपने ऊपर ले लेता है.

चुनरी का क्या करें?
मंदिर में या पूजा में मिली चुनरी में मां का आशीर्वाद माना जाता है. इसे अपने घर के पवित्र स्थान, धन स्थान या वाहन पर बांध सकते हैं. पूजा-पाठ करते समय इसे सिर पर भी रख सकते हैं, अगर इसका उपयोग न हो पाए तो इसे मंदिर में या किसी श्रद्धालु को सम्मानपूर्वक दें.

माता की चौकी और कपड़े का क्या करें?
पूजा के बाद चौकी और वस्त्रों को साफ करके सुरक्षित रखें और आगे आने वाले अनुष्ठानों में उपयोग करें, अगर जरूरत न हो तो मंदिर में दान कर सकते हैं या किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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