RO.NO. 13207/103
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

महाकाल को ठंडक पहुंचाने हो रहा आयोजन, चिलचिलाती गर्मी में कूल-कूल होगा गर्भगृह, ठंडक देने लगीं 11 ‘गन्तिकाएं

उज्जैन
गर्मी के तेवर बढते ही उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के पंडों और पुजारियों ने भगवान महाकाल को ठंडक के लिए जतन प्रारंभ कर दिए हैं। परम्परा अनुसार मन्दिर में बाबा महाकाल को सहस्त्र जल धारा चढाई जा रही है। प्रतिवर्ष वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से राजा महाकाल को गर्मी से निजात के लिए सतत जल धारा के माध्यम से ठंडक दी जाती है। शिवलिंग के ऊपर कई मटकियाँ लगाईं गई है जिनके द्वारा ठंडा पानी सतत गिर रहा है।

गर्मी से बचाने के लिए जतन
दरअसल गर्मी आते ही जहां एक ओर लोग घर में ठंडक के लिए कूलर, एसी व अन्य राहत की चीजों का इंतजाम कर रहे हैं। वहीं भगवान को गर्मी से बचाने के लिए पुजारियों द्वारा भी कई प्रकार के जतन किये जा रहे हैं। उज्जैन के महाकालेश्वर मन्दिर में बाबा भोलेनाथ को जल धारा के माध्यम से ठण्डक पहुचाने का काम प्रारंभ किया जा रहा है। पुजारी आशीष गुरू ने बताया कि यहां बाबा महाकाल को गर्मी से निजात दिलाने के लिए परम्परा अनुसार प्रतिवर्ष वैशाख कृष्ण प्रतिपाद से जल धारा प्रारंभ की जाती है।

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तक जारी रहेगी क्रिया
जल धारा का यह क्रम ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तक सतत जारी रहता है। ये जल धारा का क्रम प्रतिदिन 11 जून तक चलेगा। बाबा को जलधारा चढ़ाने के लिए शीर्ष पर ग्यारह मटकियां बांधी गई हैं। इन मटकियों को गन्तिकाएं भी कहा जाता है। मटकियों में अलग अलग पवित्र नदियों का जल भरा गया है। प्रत्येक मटकियों के माध्यम से अलग अलग जलधार द्वारा भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल चढाया जाता हैं।

सुबह 6 से शाम 5 बजे तक बहती है जलधारा
बाबा को यहां जलधारा प्रतिदिन सुबह 6 बजे चढना प्रारंभ की जाती है, जो कि शाम 5 बजे तक निरंतर जारी रहती है। यहां पंडे-पुजारी महाकाल को वैशाख-ज्येष्ठ मास की भीषण गरमी में शीतलता के लिए यह जतन करते हैं।

इन नदियों का भरा है पानी
शिवलिंग के शीर्ष में बंधी मटकियों में गंगा, सिंधु, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, सरयू, शिप्रा और गण्डकी नदी का जल शामिल है। मंदिर के आशीष गुरु पुजारी के अनुसार, भगवान के मस्तक पर रखी 11 मटकियों से रक्षा सूत्र के माध्यम से एक-एक बूंद गिरती है। यह जलधारा बाबा महाकाल को गर्मी और हलाहल की उष्णता से राहत देती है। इससे भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO. 13207/103

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button