राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

UNSC में मुस्लिम आरक्षण मंजूर नहीं… भारत और G4 ने तोड़ा इस्‍लामिक देशों का सपना, सदमे में पाक-तुर्की

वॉशिंगटन
 भारत समेत जी 4 देशों ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में मुस्लिम देश के आरक्षण के प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया है। जी 4 देशों ने धार्मिक आधार पर स्‍थायी सदस्‍यता देने के किसी भी प्रस्‍ताव को संयुक्‍त राष्‍ट्र के नियमों के खिलाफ बताया। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर लंबे समय से मांग चल रही है। भारत समेत जी 4 के देशों ब्राजील, जर्मनी और जापान ने तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान, पाकिस्‍तानी पीएम शहबाज शरीफ और सऊदी प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान के इस्‍लामिक सपने को तोड़ दिया है। संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के स्‍थायी प्रतिनिधि पी हारिश ने मंगलवार को जी4 देशों की ओर से कहा कि धर्म के आधार पर सुरक्षा परिषद में प्रतिन‍िध‍ित्‍व मंजूर नहीं है।

भारतीय प्रतिनिधि ने तुर्की या उसके इस्‍लामिक दुनिया का खलीफा बनने का सपना देख रहे राष्‍ट्रपति एर्दोगान का नाम नहीं लिया। इससे पहले पिछले महीने तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोगान ने मांग की थी कि सुरक्षा परिषद में एक इस्‍लामिक देश को भी स्‍थायी सदस्‍यता दी जाए। भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्‍तान या सऊदी के नेतृत्‍व वाले इस्‍लामिक संगठन ओआईसी का भी नाम नहीं लिया। इन दोनों ने मांग की थी कि 'इस्‍लामिक उम्‍मा' को भी सुरक्षा परिषद के सभी वर्गो में सदस्‍यता दी जाए। हारिश ने कहा कि धार्मिक फैक्‍टर को लाने से सुरक्षा परिषद के अंदर सुधारों को लेकर चल रही प्रक्रिया में और ज्‍यादा जटिलता आ जाएगी।

तुर्की के राष्‍ट्रपति ने खेला इस्‍लामिक कार्ड

हारिश ने जी4 देशों की ओर से संयुक्‍त राष्‍ट्र के अंदर सुधारों को लेकर एक अंतरसरकारी वार्ता के दौरान यह बयान दिया। उन्‍होंने भारत के प्रतिनिधि होने के नाते जोर देकर कहा कि मुस्लिम आरक्षण क्षेत्रीय प्रतिनिध‍ित्‍व के सिद्धांत को कमजोर करेगा जिसे संयुक्‍त राष्‍ट्र ने स्‍वीकार किया है। तुर्की के ऑटोमन साम्राज्‍य को फिर से लाने की कोशिश में लगे एर्दोगान ने एक इफ्तार पार्टी में पिछले महीने कहा था, 'संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के अंदर वीटो पावर के साथ एक इस्‍लामिक देश का होना न केवल आवश्‍यकता है, बल्कि एक दायित्‍व भी है।'

जी4 देशों का यह समूह सकारात्‍मक और आशावादी सोच वाले तथा सुधार समर्थक देशों का समूह है जो कई साल सुरक्षा परिषद के स्‍थायी सदस्‍यों की संख्‍या को बढ़ाने पर जोर दे रहा है। हारिश ने कहा कि जी4 एक सिफारिशी ग्रुप है जो सार्थक सुधार के लिए काम कर रहा है और किसी खास सुझाव को नहीं देता है कि किसे स्‍थायी सदस्‍य बनाया जाए। जी4 इसे संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा पर छोड़ता है। उन्‍होंने कहा कि महासभा को लोकतांत्रिक आधार पर सुरक्षा परिषद में सुधार करके नए स्‍थायी सदस्‍य को शामिल करना चाहिए।

सुरक्षा पर‍िषद में सुधार का जी4 प्रस्‍ताव

हारिश ने यह भी कहा कि जी4 देशों का मानना है कि सुरक्षा परिषद के सदस्‍यों की संख्‍या को बढ़ाना चाहिए और क्षेत्रीय प्रतिनिध‍ित्‍व को देना चाहिए। भारत ने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्‍यों की संख्‍या को 15 से 25 या 26 करना चाहिए। जी4 के प्रस्‍ताव के मुताबिक सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यों की संख्‍या को बढ़ाकर 5 से 11 करना चाहिए, वहीं अस्‍थायी सदस्‍यों की संख्‍या को 10 से बढ़ाकर 14 या 15 करनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि 6 नए स्‍थायी सदस्‍यों में प्रत्‍येक को एशिया-प्रशांत, लैट‍िन अमेरिका, कैरेबियाई देश और पूर्वी यूरोप को एक-एक सीट दी जाए। वहीं अफ्रीका को कम से कम एक या दो सीट दी जाए।

भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्‍तान को भी जमकर फटकार लगाई जो सुरक्षा परिषद में सुधार का विरोध कर रहा है। पाकिस्‍तान स्‍थायी सदस्‍यता दिए जाने का विरोध कर रहा है ताकि भारत को रोका जा सके। पाकिस्‍तान इस्‍लामिक उम्‍मा को भी भड़काने का काम कर रहा है। अगर धर्म के आधार पर देखें तो चीन जहां आंशिक रूप से वामपंथी देश है, वहीं बाकी 4 स्‍थायी सदस्‍य ईसाई बहुल देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस हैं।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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