राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

तीन दिन के लिए रूस जा रहे जिनपिंग, पुतिन ने दिया है न्योता, जानें प्लान

मॉस्को
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मॉस्को में विजय दिवस परेड में भाग लेने के लिए 7-10 मई तक रूस का दौरा करेंगे और अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद जिनपिंग की यह पहली मॉस्को यात्रा होगी। शी ने पिछली बार अक्टूबर 2024 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस का दौरा किया था।
जिनपिंग का अहम रूस दौरा

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने  बीजिंग में एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति शी 7 से 10 मई तक रूस की राजकीय यात्रा करेंगे और मॉस्को में महान युद्ध में विजय की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भाग लेंगे। बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति जिनपिंग नई परिस्थितियों में चीन-रूस संबंधों और कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर राष्ट्रपति पुतिन के साथ रणनीतिक संवाद करेंगे, जो स्पष्ट रूप से ट्रंप द्वारा पुतिन पर यूक्रेन युद्ध और चीन के खिलाफ उनके टैरिफ युद्ध से जुड़ा है।

मॉस्को में क्रेमलिन ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन के व्यक्तिगत निमंत्रण पर 7-10 मई तक शी की आधिकारिक यात्रा के दौरान दोनों नेता कई द्विपक्षीय अंतर-सरकारी और अंतर-विभागीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करेंगे। इसमें कहा गया है, बातचीत के दौरान, व्यापक साझेदारी और रणनीतिक बातचीत के संबंधों के आगे विकास के मुख्य मुद्दों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंडे के मौजूदा मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
पीएम मोदी को किया गया था आमंत्रित

रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विजय दिवस परेड के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन फिर तय हुआ कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। हालांकि, राजनाथ सिंह भी विजय दिवस परेड में शामिल नहीं होंगे और उनके डिप्टी संजय सेठ इस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच रक्षा राज्य मंत्री को 9 मई के समारोह में भेजने का कदम उठाया गया है।
जर्मनी पर सोवियत विजय की 80वीं वर्षगांठ

द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी पर सोवियत विजय की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित विजय दिवस समारोह के लिए 9 मई को मास्को में ब्राजील, वेनेजुएला और वियतनाम सहित 20 देशों के नेताओं के आने की उम्मीद है। पुतिन और शी ने 2013 से ही व्यक्तिगत मित्रता कायम की है, उन्होंने घनिष्ठ राजनीतिक और सैन्य संबंध बनाए हैं, जिससे अमेरिका और यूरोपीय संघ के वैश्विक प्रभुत्व को बड़ी चुनौती मिली है।
रूस-चीन की करीबी

दोनों नेताओं ने कई बार मुलाकात की है और घनिष्ठ व्यापारिक संबंध स्थापित किए हैं, जिसके तहत चीन रूसी तेल और गैस का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है। चीन ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर भी रणनीतिक अस्पष्टता बनाए रखी और मास्को को हथियार आपूर्ति करने के आरोपों से इनकार किया। पुतिन यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए ट्रंप के दबाव में थे, वहीं ट्रंप ने चीनी निर्यात पर अभूतपूर्व 145 प्रतिशत टैरिफ भी लगाया, जो व्हाइट हाउस के अनुसार 245 प्रतिशत तक पहुंच गया।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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