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प्लस टू टाउन उच्च विद्यालय में कलावा पहनने पर दो शिक्षिकाओं ने की छात्रों की पिटाई, परिजनों ने काटा बवाल

मुंगेर

मुंगेर के भगत सिंह चौक के प्लस टू टाउन उच्च विद्यालय में मंगलवार को बच्चों को पीटी के दौरान शारीरिक शिक्षिका और लाईब्रेरी शिक्षिका ने कच्चे धागे (कलावा) को लेकर तीन दर्जन से ज्यादा बच्चों को डांटा और मारा। बच्चों ने जब यह बात घर पर बताई, तो बुधवार को स्कूल बंद था। गुरुवार को कई बच्चों के परिजन स्कूल पहुंचे, लेकिन प्रधानाचार्य और शिक्षक सही जवाब नहीं दे पाए और उल्टा परिजनों से झगड़ा कर दिया।

इससे परिजन बहुत गुस्से में आ गए और स्कूल के बाहर हंगामा कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों शिक्षिकाएं हिंदू धर्म को निशाना बना रही हैं क्योंकि उन्होंने कलावा पहने बच्चों को अलग करके मारा और डरा-धमकाया। परिजनों ने कहा कि ये शिक्षिकाएं क्रिश्चियन धर्म मानती हैं और इसी वजह से हिंदू बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव कर रही हैं। उन्होंने शिक्षिकाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

शारीरिक शिक्षिका सुनीता कुमारी और लाइब्रेरी शिक्षिका श्वेता प्रिया ने कहा कि स्कूल में कई बच्चे अपनी कलाई में लाल और काला रक्षा सूत्र (धागा) पहन कर आते हैं। साथ ही कुछ बच्चे लंबे बाल लेकर भी स्कूल आते हैं। इसलिए पीटी के दौरान उन्होंने सभी बच्चों को अनुशासन में रहने की हिदायत दी और कहा कि वे पतला धागा बांधें, बाल कटवाएं और स्कूल की ड्रेस पहनें।

उन्होंने साफ किया कि बच्चों या परिजनों द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे गलत हैं। उनका मकसद किसी भी धर्म को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्होंने बताया कि कुछ बच्चों को अनुशासन में रहने के लिए पीटा गया, लेकिन जो बच्चे रक्षा सूत्र पहने थे, उनकी पिटाई नहीं हुई।

स्कूली छात्र केशव राज और देवाशीष ने बताया कि पीटी के दौरान शिक्षिका ने सभी बच्चों के हाथों में बंधे धागे को देखकर उन्हें खोलने के लिए कहा, लेकिन कई बच्चों ने इसका विरोध किया। इसलिए कुछ बच्चों की पिटाई हुई। कई छात्र आज कच्चे धागे पहनकर स्कूल नहीं आए। उन्होंने कहा कि पहले कभी पीटी शिक्षिका ने कोई हिदायत नहीं दी थी। शिक्षिका ने कहा कि तुम लोग स्कूल धर्म प्रचार करने के लिए आते हो। इस मामले पर जब जिला शिक्षा पदाधिकारी असगर अली से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसा मामला सही है तो शिक्षा विभाग जांच करेगा और दोषी शिक्षिकाओं के खिलाफ कार्रवाई करेगा।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.13286/93

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