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मध्यप्रदेश में पारेषण हानि अब तक के न्यूनतम स्तर पर : ऊर्जा मंत्री तोमर

भोपाल
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि प्रदेश ने विद्युत पारेषण क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए पारेषण हानि (ट्रांसमिशन लॉस) को ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम स्तर तक लाने में सफलता प्राप्त की है। यह उपलब्धि विद्युत कर्मियों की तकनीकी दक्षता, सतत निगरानी, उन्नत प्रबंधन प्रणाली और अत्याधुनिक तकनीकी उपायों के समन्वय से संभव हो सकी है।

ऊर्जा मंत्री तोमर ने बताया कि मध्यप्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग (MPERC) द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित 2.77 प्रतिशत लक्ष्य की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में पारेषण हानि को घटाकर 2.60 प्रतिशत तक लाया गया है। यह राज्य की विद्युत कंपनियों की कार्यकुशलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पिछले दो वर्षों की तुलना में भी उल्लेखनीय सुधार है। वर्ष 2022-23 और 2023-24 में पारेषण हानि 2.61 प्रतिशत थी, जबकि वर्ष 2024-25 में इसमें 0.01 प्रतिशत की और गिरावट दर्ज की गई है।

पारेषण हानि में कमी के लाभ

किसी भी ट्रांसमिशन प्रणाली में पारेषण हानि के न्यूनतम स्तर पर होने से न केवल पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है, बल्कि विद्युत उत्पादन की लागत भी घटती है। इसके अतिरिक्त, यह वोल्टेज स्तर समेत अन्य तकनीकी मानकों को स्थिर रखने में भी सहायता करता है। इससे समग्र बिजली प्रणाली अधिक विश्वसनीय बनती है।

विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता होगी बेहतर

एम.पी. ट्रांसको द्वारा किए गए नवाचारों, स्कॉडा प्रणाली जैसी उन्नत तकनीकी विधियों, विद्युत ग्रिडों की निरंतर निगरानी और समय-समय पर किए गए रख-रखाव के चलते यह सफलता संभव हो सकी है। कंपनी विद्युत नेटवर्क के आधुनिकीकरण और क्षमतावर्धन की दिशा में लगातार प्रयासरत है। यह सफलता न केवल प्रदेश के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और उपभोक्ताओं को अधिक स्थिर व निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में भी सहायक सिद्ध होगी।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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