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कोरोना से देशभर में 11 लोगों की मौत, 1 हजार से ज्यादा सक्रिय मामले, एक हफ्ते में 787 नए केस सामने आए

नई दिल्ली
 देशभर कोरोना के मामलों में एक बार फिर तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। कई राज्यों में हुई मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। देशभर में कोरोना से इस साल अबतक 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से नौ की मौत एक हफ्ते के भीतर हुई है। देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामलों की संख्या 1047 हो गई है।

वहीं महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कुल 11 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से नौ की मौत एक हफ्ते के भीतर हुई है। कोरोना से सबसे ज्यादा पांच मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं। ठाणे में सोमवार को एक महिला की मौत हुई।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में 787 नए मरीज दर्ज किए गए हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डायरेक्टर डॉ राजीव बहल ने बताया कि अभी तक देश में 4 वैरिएंट मिले हैं। इनमें LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 वैरिएंट शामिल हैं।

कोरोना के सबसे ज्यादा 430 एक्टिव केस केरल में हैं। महाराष्ट्र में 208, दिल्ली में 104 और गुजरात में 83 केस हैं। कर्नाटक के 80 केसों में से सिर्फ 73 बेंगलुरु में हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में 787 नए मरीज दर्ज किए गए हैं। कोरोना से सबसे ज्यादा पांच मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं। ठाणे में सोमवार को एक महिला की मौत हुई।

ठाणे में ही 25 मई  को अस्पताल में इलाज करा रहे 21 साल के युवक की मौत हो गई। उसका 22 मई से इलाज चल रहा था। वहीं, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी मौतें हुईं हैं। जयपुर में सोमवार को कोरोना के दो मरीजों की मौत हो गई। इनमें से एक रेलवे स्टेशन पर मृत मिला था। उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। दूसरी मौत प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती 26 साल के युवक की हुई।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डायरेक्टर डॉ राजीव बहल ने बताया कि अभी तक देश में 4 वैरिएंट मिले हैं। इनमें LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 वैरिएंट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बाकी जगहों से नमूने लेकर सीक्वेंसिंग की जा रही है, ताकि नए वैरिएंट की जांच की जा सके। मामले बहुत गंभीर नहीं हैं और लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए, बस सतर्क रहना चाहिए।

अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार JN.1 अन्य वैरिएंट की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। दुनिया के कई हिस्सों में यह सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है। JN.1 वैरिएंट के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं। अगर आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो हो सकता है कि आपको लंबे समय तक रहने वाला कोविड हो। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें COVID-19 के कुछ लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं।

भारत में मिले कोविड-19 के 4 नए वैरिएंट भारत के कई राज्यों में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बीच देश में चार नए वैरिएंट मिले हैं। ICMR के डायरेक्टर डॉ. राजीव बहल ने बताया कि दक्षिण और पश्चिम भारत से जिन वैरिएंट की सीक्वेंसिंग की गई है, वे LF.7, XFG , JN.1 और NB.1.8.1 सीरीज के हैं।

बाकी जगहों से नमूने लेकर सीक्वेंसिंग की जा रही है, ताकि नए वैरिएंट की जांच की जा सके। मामले बहुत गंभीर नहीं हैं और लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए, बस सतर्क रहना चाहिए।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी इन्हें चिंताजनक नहीं माना है। हालांकि, निगरानी में रखे गए वैरिएंट के रूप में कैटेगराइज किया है। चीन सहित एशिया के दूसरे देशों में कोविड के बढ़ते मामलों में यही वैरिएंट दिख रहा है।

NB.1.8.1 के A435S, V445H, और T478I जैसे स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन अन्य वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैलते हैं। इन पर कोविड के खिलाफ बनी इम्यूनिटी का भी असर नहीं होता।

भारत में कोविड का JN.1 वैरिएंट सबसे आम है। टेस्टिंग में आधे से ज्यादा सैंपल में यह वैरिएंट मिलता है। इसके बाद BA.2 (26 प्रतिशत) और ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) वैरिएंट के मामले भी मिलते हैं।

JN.1 वैरिएंट इम्यूनिटी कमजोर करता है​​​​​ JN.1, ओमिक्रॉन के BA2.86 का एक स्ट्रेन है। इसे अगस्त 2023 में पहली बार देखा गया था। दिसंबर 2023 में WHO ने इसे 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' घोषित किया। इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी कमजोर करते हैं।

अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार JN.1 अन्य वैरिएंट की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। दुनिया के कई हिस्सों में यह सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है।

JN.1 वैरिएंट के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं। अगर आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो हो सकता है कि आपको लंबे समय तक रहने वाला कोविड हो। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें COVID-19 के कुछ लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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