राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

सैटेलाइट किट पर छुपाई थी बात, अब किया ऐसा तो लाइसेंस होगा कैंसल

नई दिल्ली

एलन मस्‍क की कंपनी स्‍टारलिंक को भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने के लिए जरूरी लाइसेंस मिल गया है। इसके साथ ही कंपनी को कुछ नियमों का पालन भी करना होगा। अब अगर उसने किसी मामले में ढीला रवैया अपनाया तो लाइसेंस कैंसल हो सकता है। अबतक एलन मस्‍क की कंपनी भारत सरकार के साथ कुछ मामलों में सहयोग नहीं कर रही थी। अब ऐसा किया तो उसे महंगा पड़ सकता है। एयरटेल की वनवेब और रिलायंस जियो के बाद स्‍टारलिंक भारत में तीसरी कंपनी बनी है, जिसे सर्विस शुरू करने का मौका मिला है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि वह भारत सरकार से अब तक कौन सी बात छुपा रही थी।

ईटी टेलिकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, बीते कुछ महीनों में नॉर्थ-ईस्‍ट के इलाकों में स्‍टारलिंक की सैटेलाइट किट पकड़ने की जानकारी सामने आया था। सुरक्षा एजेंसियों ने इशारा किया था कि दूरदराज के इलाकों में स्‍टारलिंक उपकरणों का गलत इस्‍तेमाल किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, मस्‍क की कंपनी इससे जुड़ी डिटेल नहीं दे रही थी। लाइसेंस मिलने के बाद अब स्‍टारलिंक को देश में जब्‍त की गईं सैटेलाइट किट और यूजर्स की डिटेल शेयर करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर कंपनी से सवाल किया जा सकता है और लाइसेंस तक रद्द हो सकता है।

क्‍या-क्‍या होता है स्‍टारलिंक किट में
स्‍टारलिंक की किट में 4 मेन चीजें होती हैं। स्‍टारलिंक डिश, वाई-फाई राउटर, पावर सप्‍लाई करने वाली केबल और माउंटिंग ट्रायपॉड। इन्‍हें जोड़ने के बाद ही सैटेलाइट इंटरनेट चलता है। मेन डिश को छत पर या पोल पर लगाया जाता है। यह वैसी ही होती है, जैसे डीटीएच की छतरी। डिश पर अंतरिक्ष से सिग्‍नल बीम होते हैं। वो सिग्‍नल राउटर पर पहुंचते हैं और फ‍िर राउटर के कवरेज एरिया में वाई-फाई की मदद से इंटरनेट चलता है।

भारत में कहां मिली थी स्‍टार‍लिंक किट
ईटी टेलिकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल दिसंबर में मणिपुर में स्‍टारलिंक के उपकरण बरामद किए गए थे। अंडमान निकोबार से भी एक अवैध किट बरामद हुई थी। ऐसे मामलों में सरकार के लिए यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि उपकरणों की मदद से इंटरनेट कौन चला रहा था। कंपनी जानकारी शेयर ना करे तो परेशानी आती है। लेकिन अब स्‍टारलिंक ऐसा नहीं कर पाएगी। साथ ही उसे भारत में कंट्रोल और मॉनिटरिंग सेंटर भी स्‍थापित करना होगा। स्‍टारलिंक की सेवाएं भारत में कबतक शुरू होंगी, अभी जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि पहले ट्रायल स्‍टार्ट किए जाएंगे।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO. 13259/87

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