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अवसरों की कोई कमी नहीं है इन्फ्रास्ट्रक्चर व रियल एस्टेट में

 

देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल एस्टेट का क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है। सुविधायुक्त शहर बनाने की बड़ी योजनाओं से कुशल लोगों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार भी बने हैं। ऊंची-ऊंची आवासीय इमारतों व अत्याधुनिक दफ्तरों को देखकर किसी भी देश की तरक्की का सहज ही बोध होता है। यह सारा ताना-बाना इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल एस्टेट से जुड़ा होता है। जिस तेजी से भारत की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, उसी तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल एस्टेट सेक्टर भी कुलांचें भर रहा है। करियर के लिहाज से भी यह सेक्टर युवाओं की पहली पसंद बनता जा रहा है।

बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अभिषेक मुद्गल कहते हैं कि यह क्षेत्र देश के सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक है। करियर के तौर पर रियल एस्टेट को सिर्फ प्रॉपर्टी डीलर या कमीशन एजेंट्स के रूप में ही देखा जाता है। लेकिन आज इस क्षेत्र में नौकरियों की भरमार है। कई बड़े उद्योग जैसे स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रॉनिक्स इसके साथ जुड़े हुए हैं। रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट) लागू होने के बाद लोगों का रियल एस्टेट सेक्टर के प्रति भरोसा बढ़ा है। इसमें मेहनत के हिसाब से पैसा और पद दोनों हैं। नौकरी के साथ-साथ इसमें व्यापार का भी बेहतर विकल्प मिलता है।

उम्मीद जता रहे हैं आंकड़े
सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स बिजनेस एंड रिसर्च (सीईबीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक भारत विश्व का तीसरा सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। इसका असर रियल एस्टेट सेक्टर पर भी पड़ेगा और काम में तेजी आएगी। इस समय यह क्षेत्र 11 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ कर रहा है। माना जा रहा है कि यह विकास 2020 तक जारी रहेगा। आज 50 के करीब नामी-गिरामी रियल एस्टेट कंपनियां इंडियन स्टॉक मार्केट में दर्ज हैं और बड़े पैमाने पर नौकरी दे रही हैं।

कौशल की मांग
इस क्षेत्र में बने रहने के लिए नेटवर्किंग का कौशल बहुत जरूरी है। इसके लिए पेशेवरों को लोगों से लगातार अपनी जान-पहचान बढ़ाकर संपर्क सूची मजबूत करने के बारे में सोचना चाहिए। जमीन, फ्लैट, विला, व्यावसायिक भवन, मॉल आदि खरीदकर बेचने के लिए उच्च दर्जे का मार्केटिंग स्किल होना चाहिए। मार्केट व प्रॉपर्टी के दाम में उतार-चढ़ाव की नियमित जानकारी होनी चाहिए। परिश्रम, अनुशासन, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता और सकारात्मक दृष्टिकोण काम को गति प्रदान करते हैं। लोगों से मेल-मिलाप के हुनर को इस पेशे के खास गुणों के रूप में देखा जाता है।

बैचलर डिग्री के बाद बेशुमार मौके

-विज्ञान विषय से 12वीं पास छात्र सिविल व स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में बीटेक कर सकते हैं।
-अगर कला विषयों के साथ बारहवीं कर चुके हैं तो बीबीए में प्रवेश ले सकते हैं। जबकि स्नातक छात्र सेल्स, मार्केटिंग व फाइनेंस में एमबीए कर सकते हैं। बीबीए कर चुके छात्र भी एमबीए की राह चुन सकते हैं।
-छात्र चाहें तो एमटेक कर अपनी प्रोफाइल और मजबूत कर सकते हैं। रियल एस्टेट ब्रोकर सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा व एडवांस डिप्लोमा स्तर के कोर्स करके नौकरी पाने की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

कई रूपों में मिलेंगी संभावनाएं
इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल एस्टेट सेक्टर से लाखों लोगों की आजीविका चलती है। इस समय इंडस्ट्री में 40 लाख लोगों की दरकार है, जो कि 2022 तक 90 लाख की संख्या को पार कर जाएगी। सरकार का पूरा जोर शहरी विकास एवं संसाधन बढ़ाने पर है। 2022 तक सबको आवास देने की योजना पर काम हो रहा है। स्मार्ट सिटी की अवधारणा पर तेजी से काम हो रहा है। इसके चलते रियल एस्टेट में बड़े पैमाने पर लोगों की नियुक्तियां हो रही हैं।

सरकारी सेवा क्षेत्र में जहां शहरी व ग्रामीण विकास मंत्रालय, सिंचाई विभाग, बैंकों के ऋण विभाग, फाइनेंस आदि में अवसर हैं तो वहीं निजी क्षेत्रों की रियल एस्टेट कंपनियों में भी असीमित अवसर हैं। इसके अलावा एन्वायरन्मेंटल, हाउसिंग व ट्रांसपोर्ट प्लानिंग में सरकारी व निजी विभागों से जुड़कर काम किया जा सकता है। दोनों ही विभागों में सिविल इंजीनियर या आर्किटेक्ट के लिए कन्स्ट्रक्शन व इन्फ्रास्ट्रक्चर इकाइयों में पर्याप्त मौके हैं। विश्वविद्यालय या महाविद्यालयों में इंजीनियरिंग या इससे जुड़े विषयों में अध्यापन के अवसर भी हैं।  

पद और पैसा दोनों हैं इस क्षेत्र में
आधारभूत निर्माण से संबंधित विकास में कुशल व्यक्ति की हर कदम पर जरूरत पड़ती है। सिविल इंजीनियर, टाउन प्लानर आदि की जहां आधारभूत ढांचों के निर्माण की योजनाओं में जरूरत होती है, वहीं अकाउंटेंट व फाइनेंशियल एनालिस्ट जैसे विशेषज्ञ ऐसी योजनाओं में बजट संबंधी कार्य देखते हैं। बढ़ती मांग को देखते हुए इस क्षेत्र में भविष्य एवं पैसा दोनों हैं।

ज्यादातर रोजगार इन रूपों में हैं मौजूद
सरकारी योजनाओं का पूरा जोर शहरी विकास एवं संसाधन बढ़ाने पर है। इसके चलते सरकारी व निजी क्षेत्र में रोजगार के भरपूर मौके बन रहे हैं…

प्रॉपर्टी मैनेजर
ये मैनेजर किसी पेशेवर प्रॉपर्टी मैनेजमेंट कंपनी का हिस्सा होते हैं और किसी की इन्वेस्टमेंट प्रॉपर्टी की देखभाल करते हैं। प्रॉपर्टी को किराए, लीज पर लेना और ग्राहकों से संबंधित काम करना इनका कार्यक्षेत्र है।

फैसिलिटीज मैनेजर
फैसिलिटीज मैनेजर बड़े-बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट से जुड़े होते हैं। इनका काम बड़ी-बड़ी आवास योजनाओं, मॉल्स, दफ्तर आदि की बिक्री में ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाना होता है।

रिएल एस्टेट ब्रोकर
इसमें रेजिडेंशियल व कमर्शियल दो तरह के रियल एस्टेट ब्रोकर होते हैं। रेजिडेंशियल ब्रोकर हाउस प्रॉपर्टी को खरीदने और बेचने का काम करता है, जबकि कमर्शियल ब्रोकर होटल, ऑफिस, कमर्शियल र्बिंल्डग को खरीदने-बेचने का काम करता है।

रियल एस्टेट एनालिस्ट
इन पेशेवरों का काम लोगों को निवेश के लिए बेहतर लोकेशन, जमीन या अन्य प्रॉपर्टी के बारे में सूचनाएं और जानकारियां देना होता है।

सिविल इंजीनियर
चाहे बिल्डिंग बनानी हो या सड़क या डैम, हर जगह सिविल इंजीनियरों की जरूरत पड़ती है। स्ट्रक्चरल इंजीनियर जहां मैटीरियल, डिजाइन व निर्माण की मजबूती पर काम करते हैं, वहीं आर्किटेक्ट उसकी सुंदरता व भव्यता पर फोकस रहते हैं। इन पेशेवरों को सरकारी व निजी क्षेत्र की कंपनियों में रोजगार मिलता है।

आर्किटेक्ट
सरकारी आर्किटेक्ट के रूप में सेंट्रल एवं स्टेट पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट हाउसिंग एवं अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, सिटी डेवलपमेंट अथॉरिटी, स्टेट हाउसिंग बोर्ड आदि में काम किया जा सकता है, जबकि बतौर प्राइवेट आर्किटेक्ट आप टीचिंग, रीयल एस्टेट, डेवलपमेंट फर्म, प्राइवेट आर्किटेक्चर फर्म में काम कर सकते हैं।

टाउन प्लानर
टाउन प्लानर खाली स्थान के हिसाब से वह सारी सुविधाएं अपनी योजना में शामिल करते हैं, जिनकी दैनिक जीवन में लोगों को आवश्यकता होती है। इसके अंतर्गत छात्र प्लानिंग डिजाइनर, प्लानिंग ड्राफ्टमैन, टाउन प्लानर असिस्टेंट के रूप में नौकरी पाते हैं। ड्राइंग का ज्ञान काफी काम आता है।

सेल्स एग्जिक्यूटिव
हरेक छोटी-बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में सेल्स एंड मार्केटिंग से जुड़े पेशेवरों की जरूरत होती है। सेल्स एंड मार्केटिंग, बिजनेस मैनेजमेंट का हिस्सा होता है।

फाइनेंशियल एनालिस्ट
समय-समय पर इन्फ्रास्ट्रक्चर व रियल सेक्टर में रिलेशनशिप मैनेजर, फाइनेंशियल प्लानिंग मैनेजर आदि के रूपों में अवसर सामने आते हैं। ये डाटा एनालिसिस, मार्केट रिसर्च, क्लाइंट डेवलपमेंट एनालिसिस आदि क्षेत्रों में भी नौकरी पा सकते हैं।

प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान

-भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (देश भर में कई जगह शाखाएं मौजूद)
-स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर
-स्कूल ऑफ मैनेजमेंट फॉर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट स्ट्रैटेजी, बैंगलुरू
-यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून
-एमिटी स्कूल ऑफ अर्बन मैनेजमेंट, नोएडा  

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.13286/93

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