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चीन में लगातार दूसरे साल जनसंख्या में गिरावट दर्ज, आर्थिक ग्रोथ का भी पैदा हुआ संकट

बीजिंग

2023 में चीन की आबादी लगातार दूसरी बार कम हुई है। पिछले साल चीन के नेशनल बर्थ रेट में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई। चीन में साल 2023 में 90 लाख बच्चे पैदा हुए, जबकि साल 2022 में वहां 95 लाख बच्चे पैदा हुए थे।

नेशनल ब्यूरो स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक चीन में साल 2022 में बर्थ रेट 6.67% था, जो साल 2023 में घटकर 5.7% रह गया। इसका मतलब यह हुआ कि चीन में जहां साल 2022 में कुल हजार लोगों पर 6.67 बच्चों को जन्म होता था वो 2023 में घटकर 6.39 रह गया।

साल 2023 में 27 लाख 5 हजार लोग कम हुए
साल 2022 में चीन की आबादी 1.4118 बिलियन थी जो साल 2023 में घटकर 1.409 बिलियन रह गई। यानी एक साल में कुल 27 लाख 5 हजार लोगों कम हुए। चीन की आबादी में वहां के 31 राज्यों के लोगों को गिना जाता है। इसमें हांगकांग, मैकाऊ और ताइवान शामिल नहीं हैं।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक चीन में बच्चे पैदा करने में आने वाला खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है, जो कई बार लोगों को गरीबी तक में धकेल देता है। वहीं लोगों की सोच परिवार और शादी को लेकर लगातार बदल रही है, इसका असर भी वहां के बर्थ रेट पर असर डाल रहा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने चीन में आर्थिक मंदी और कोरोना के समय लगाई गई पाबंदियों को भी इसका जिम्मेदार माना है।
शंघाई के पार्क में अपनी मांओं के साथ बच्चे। सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानूनों और बढ़ती महंगाई के चलते अब चीन में लोग खुद ही एक बच्चे से ज्यादा प्लान नहीं करते हैं।

इटली, जापान, रूस और साउथ कोरिया समेत इन देशों में घट रही आबादी

चीन की तेज आर्थिक ग्रोथ की एक वजह उसकी बड़ी आबादी और वर्कफोर्स में उसकी हिस्सेदारी रही है। लेकिन अब जब वहां जनसंख्या ही कम हो रही है तो युवा आबादी में भी गिरावट है। यही नहीं आने वाले दशकों में यह संकट और गहराने की आशंका है। बता दें कि जापान, साउथ कोरिया, रूस, इटली जैसे कई देश हैं, जहां आबादी में तेजी से गिरावट आई है। पुतिन ने तो पिछले दिनों रूस की महिलाओं से अपील करते हुए कहा था कि वे ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करें। 

ये चीन के आर्थिक विकास के लिए खतरा
एक्सपर्ट्स ने चीन को चेताया है कि लगातार घटती जन्म दर देश के आर्थिक विकास के लिए खतरा साबित हो सकती है। ऐसे में पेंशन भोगियों और दूसरे फायदों के साथ रिटायर्ड लोगों का अनुपात बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।

विस्कॉन्सिन-मेडिसन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर यी फुक्सियन ने कहा- चीन एक जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहा है, जो चीनी अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की कल्पना से परे है।

2016 से कम हो रही चीन की आबादी
चीन में जनसंख्या दर 2016 से ही कम हो रही है। तभी से चीन ने बच्चों की तादाद बढ़ाने के लिए लोकल लेवल पर काम करना शुरू कर दिया था। इसके लिए लोगों को पैसे भी दिए गए। सोशल सिक्योरिटी बेनेफिट्स के अलावा उन्हें हाउसिंग और एजुकेशन डिस्काउंट की भी घोषणा की गई थी। साल 2021 के आते-आते चीन ने अपनी वन चाइल्ड पॉलिसी को भी हटा दिया। जिससे लोगों को केवल एक बच्चा पैदा करने की अनुमति थी। चीन ने ऐलान किया था कि लोग अब 3 बच्चे पैदा कर सकते हैं। हालांकि उसका कुछ ज्यादा फायदा नहीं हुआ।

चीन ने क्यों लागू की थी वन चाइल्ड पॉलिसी?
चीन ने 1979 में वन चाइल्ड पॉलिसी इंट्रोड्यूस की थी। 1980 से इसे लागू कर दिया गया। तब चीन की आबादी 98.61 करोड़ थी और लगातार बढ़ रही थी। चीन को डर था कि बढ़ती आबादी देश के विकास में बाधा बन सकती है। इस वजह से ये पॉलिसी लागू की गई थी। इस दौरान लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक भी किया गया और सख्ती भी की गई। 1 से ज्यादा बच्चे होने पर लोगों पर फाइन लगाया गया, नौकरी से निकाला गया, महिलाओं को जबरन गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया गया और पुरुषों की जबरन नसबंदी की गई।

2016 तक चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी लागू रही। माना जाता है कि इस दौरान चीन ने 40 करोड़ बच्चों को जन्म से रोका। इसका नुकसान ये हुआ कि देश में वृद्ध लोगों की आबादी बढ़ती रही और युवा आबादी कम हो गई। इस वजह से 2016 में थोड़ी छूट देते हुए टू-चाइल्ड पॉलिसी लागू की गई।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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