राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

ग्वालियर-चंबल में फर्जी गन लाइसेंस घोटाला, ADM की सील-साइन से बनाई गई फर्जी डायरी, खुफिया एजेंसियों की जांच शुरू

ग्वालियर
 मध्यप्रदेश में हथियार प्रेम और गन लाइसेंस के प्रति बढ़ती सख्ती के बीच ग्वालियर से एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां फर्जी गन लाइसेंस डायरी बनाकर लोगों को ठगा जा रहा है। इतना ही नहीं, इन नकली लाइसेंसों पर एडीएम की सील और सिग्नेचर तक लगा दिए गए। सबसे हैरानी की बात यह है कि इन फर्जी दस्तावेजों में यूनिक ID नंबर तक बना दिए गए हैं, मानो ये असली हों।

ग्वालियर में ऐसे तीन पिस्टल लाइसेंस सामने आए हैं, जो मैन्युअली हाथ से लिखकर बनाए गए हैं। जबकि प्रदेश में अब गन लाइसेंस की ऑनलाइन प्रक्रिया लागू है और सॉफ्टवेयर बेस्ड सिस्टम से ही लाइसेंस जारी होते हैं।
नकली गन लाइसेंस कैसे बने?

जांच में सामने आया है कि कुछ दलालों ने हथियार प्रेमियों से पैसे लेकर नकली पिस्टल लाइसेंस डायरी थमा दी। ये लाइसेंस हूबहू असली जैसे दिखते हैं, जिनमें-

    एडीएम की सील और हस्ताक्षर

कलेक्टर ग्वालियर के सिग्नेचर की नकल
वैलिडिटी डेट और कारतूस की संख्या
यूनिक ID नंबर (जो झूठे हैं)
आवेदकों की फोटो तक चिपकाई गई है
जिन नकली लाइसेंस की पुष्टि हुई

1. ऐंदल सिंह (ग्राम गिरगांव, ग्वालियर) – हथियार की वैधता 21 मार्च 2027 तक बताई गई है। डायरी हाथ से लिखी गई है।

2. अमित सिंह राजावत (न्यू राम विहार, पिंटो पार्क) – यूनिक ID में वर्ष 2027 अंकित है, जबकि वर्तमान 2025 है।

3. रामनिवास सिंह (डीडी नगर) – फोटो सहित पूरा लाइसेंस तैयार किया गया है, जिसमें 2026 की यूनिक ID डाली गई है।

पर कलेक्टर से लेकर कलेक्टर तक
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन नकली बंदूक लाइसेंसों में अपर कलेक्टर से लेकर कलेक्टर तक के फर्जी हस्ताक्षर हूबहू किए गए हैं. इसके अलावा, जिन लाइसेंसों को वैध बताया गया था, उनमें यूनिक आईडी भी फर्जी पाई गई है. इतना ही नहीं, इन्हें सॉफ्टवेयर के जरिए नहीं, बल्कि हाथ से लिखी गई डायरी में तैयार किया गया था, जिससे शक और भी गहरा गया है.

फर्जीवाड़ा हुआ भंडाफोड़
गृह मंत्रालय द्वारा बंदूक लाइसेंस को लेकर की जा रही सख्ती के बीच यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है. इससे स्पष्ट होता है कि जिले में प्रशासनिक स्तर पर निगरानी की कमी रही है. मामले के सामने आते ही ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने तुरंत जांच के निर्देश दिए हैं और संभावना जताई जा रही है कि आगे जांच में और भी फर्जी लाइसेंसों का खुलासा हो सकता है.

ग्वालियर जिले में फिलहाल करीब 34,000 वैध हथियार लाइसेंस दर्ज हैं, जिनमें करीब 2,000 लाइसेंस केवल पिस्टल और रिवॉल्वर के हैं. ऐसे में यह फर्जीवाड़ा बहुत बड़े स्तर पर फैल सकता है, जिससे कानून-व्यवस्था पर सीधा असर पड़ सकता है. अब यह मामला सिर्फ फर्जी दस्तावेज बनाने का नहीं, बल्कि सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय बन चुका है. प्रशासन द्वारा जांच में तेजी लाई जा रही है और दोषियों के खिलाफ जल्द सख्त कार्रवाई की संभावना है.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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