राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

विकसित मध्यप्रदेश और आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ एमएसएमई: सीएम डॉ. मोहन यादव

भोपाल 
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) न केवल भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन को आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक रोजगार से जोड़ने का सशक्त माध्यम भी हैं। वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 27 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस’ घोषित किया गया था। इसका उद्देश्य सतत विकास के लक्ष्यों में एमएसएमई के योगदान के प्रति जागरुकता बढ़ाई जा सके।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हमारा लक्ष्य एमएसएमई के माध्यम से प्रत्येक परिवार में कम से कम एक व्यक्ति को स्वरोजगार अथवा रोजगार से जोड़ने का है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस क्षेत्र को भारतीय औद्योगिक ढांचे की बुनियाद बताया है। एमएसएमई हमारे देश की आर्थिक वृद्धि में परिवर्तनकारी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा है कि हम इस क्षेत्र के पोषण और सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं। वर्तमान में देशभर में एमएसएमई की संख्या 6 करोड़ से अधिक हो चुकी है और इस क्षेत्र को मिलने वाले ऋण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है—जो 10 वर्ष पूर्व 12 लाख करोड़ रुपये था, अब 30 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। वर्तमान में ऋण गारंटी कवर को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है। साथ ही 5 लाख रुपये तक कार्यशील पूंजी के लिए भी कस्टमाइज्ड क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की गई है।

एमएसएमई के माध्यम से प्रदेश गढ़ रहा नित नये कीर्तिमान
राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति 2025, स्टार्टअप नीति एवं कार्ययोजना 2025 संशोधित तथा भवन आवंटन नियम 2025 जारी किये। वर्ष 2025-26 में विभिन्न स्व-रोजगार योजनाओं के अंतर्गत कुल 4 लाख 15 हजार 254 हितग्राहियों को लाभान्वित किया है। इनमें 3,861.48 करोड़ की राशि वितरित की गई। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत सर्वाधिक 3,83,886 हितग्राहियों को 3,429.51 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की गई।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत 24 हजार 349 हितग्राहियों को 224.99 करोड़ रुपये, जबकि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के अंतर्गत 5 हजार 345 लाभार्थियों को 329 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, युवा स्वरोजगार योजना, उद्यम क्रांति योजना और भवन एवं अन्य निर्माण कर्मकार कल्याण योजनाओं के माध्यम से भी हज़ारों हितग्राहियों को रोजगार से जोड़ा गया।

इन योजनाओं के साथ ही प्रदेश में मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के अंतर्गत 730 हितग्राहियों को 54.06 करोड़ रुपये, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के अंतर्गत 230 हितग्राहियों को 7.86 करोड़ रुपये, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 200 हितग्राहियो को 1.10 करोड़ रुपये, अनुसूचित जाति कल्याण योजना के अंतर्गत 48 हितग्राहियो को 1.54 करोड़ रुपये और अनुसूचित जनजाति कल्याण योजना के अंतर्गत 65 हितग्राहियों को 0.30 करोड़ रुपये की सहायता भी प्रदान की गई।

मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सामाजिक और आर्थिक भविष्य के शिल्पकार बन चुके हैं। यह क्षेत्र न केवल आत्मनिर्भर भारत की भावना को मूर्त रूप दे रहा है, बल्कि विकसित मध्यप्रदेश 2047 के सपने को भी साकार कर रहा है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.13286/93

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