राखी सिर्फ भाई के लिए नहीं! जानिए शास्त्रों में किन-किन को बांधी जा सकती है राखी

रक्षाबंधन, भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं. शास्त्रों में रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर क्या कहा गया है? आइए जानते हैं कि बहन, भाई के अलावा और किस-किस को राखी बांध सकती है.
भगवान को राखी बांधने की परंपरा
राखी बांधने का सबसे पहला अधिकार ईश्वर को माना गया है. कई बहनें सबसे पहले भगवान कृष्ण, शिव या गणेश को राखी बांधती हैं और फिर अपने भाई को. यह आस्था की अभिव्यक्ति है कि भगवान पहले रक्षक हैं.
बहनें बहनों को भी बांधती हैं राखी
यदि किसी स्त्री का भाई न हो या वह बहनों के साथ ही पली-बढ़ी हो, तो वह अपनी बड़ी बहन को राखी बांध सकती है. यह बहनत्व, प्रेम और साथ निभाने का प्रतीक होता है.
गुरु या शिक्षक को राखी
भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान के समान माना गया है. शिष्य यदि अपने गुरु को राखी बांधता है तो वह यह संकेत देता है कि वह गुरु की रक्षा, सेवा और सम्मान का वचन देता है.
पुजारी, साधु-संतों को राखी
कई स्थानों पर महिलाएं साधु-संतों या मंदिर के पुजारियों को राखी बांधती हैं. यह धार्मिक विश्वास और आध्यात्मिक संबंध को दर्शाता है. यह परंपरा विशेषकर वृंदावन, मथुरा और हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थलों में देखने को मिलती है.
रक्षासूत्र के रूप में सैनिकों को राखी
रक्षाबंधन के अवसर पर बहनें भारतीय सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को राखी भेजती हैं या स्वयं जाकर बांधती हैं. यह समाज की रक्षा करने वाले रक्षक के प्रति श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है.
पेड़ों को राखी बांधना
पर्यावरण संरक्षण की भावना को बढ़ावा देने के लिए कई लोग वृक्षों को राखी बांधते हैं. यह संकल्प होता है कि हम पेड़ों की रक्षा करेंगे और पर्यावरण को सुरक्षित रखेंगे.
रक्षाबंधन 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, सावन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 8 अगस्त को देर रात 2 बजकर 12 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन 9 अगस्त को रात 1 बजकर 24 मिनट होगी. उदया तिथि के अनुसार, रक्षाबंधन का त्योहार इस बार 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा.