राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

50% से अधिक आरक्षण: क्या यह संविधान के खिलाफ? एमपी में OBC कोटा बढ़ाने की तैयारी

भोपाल

भारत में आरक्षण की अधिकतम सीमा को लेकर लगातार बहस चलती रहती है। मौजूदा दौर में मध्यप्रदेश में OBC आरक्षण को 27% किए जाने का मामला चल रहा है। इस मामले में आज से सुप्रीम कोर्ट में रोजना सुनवाई की जाएगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि संविधान के अनुसार सामान्य परिस्थितियों में आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं दिया जा सकता। इसके बावजूद कई राज्य 50% से ज्यादा आरक्षण दे रहे हैं। ऐसे में आज बात करेंगे कि ये राज्य आखिर क्यों 50% से ज्यादा आरक्षण दे रहे हैं।

दरहअसल सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार (1992) केस में साफ कहा था, कि सामान्य परिस्थितियों में आरक्षण 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके बावजूद कई राज्यों ने इस सीमा को पार कर दिया है और अपने सामाजिक ढांचे व राजनीतिक समीकरणों के आधार पर 50% से ऊपर का कोटा लागू कर रखा है।

इन राज्यों में 50% से ज्यााद आरक्षण…

तमिलनाडु – 69%
    1990-94 में कानून बना और इसे संविधान की नौंवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

तेलंगाना – 67%
 शिक्षा और सरकारी नौकरियों में SC/ST/OBC/EWS को मिलाकर कुल आरक्षण।

बिहार – 75%
    हाल ही में राज्य ने आरक्षण को 65% तक बढ़ाया और EWS मिलाकर कुल लगभग 75% हो गया।

गुजरात – 58-60%
    EWS को शामिल करने के बाद कुल आरक्षण दर 50% से ऊपर चली गई।

केरल – लगभग 60%
    राज्य में SC/ST/OBC/EWS को मिलाकर कुल आरक्षण दर 60 %।

50% से ज्यादा आरक्षण देने पर क्या कहता है कानून ..
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि 50% से ज्यादा आरक्षण असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर मान्य नहीं होगा। लेकिन कई राज्यों ने सामाजिक न्याय और जातिगत समीकरणों का हवाला देकर इसे बढ़ाया। खासतौर पर तमिलनाडु का 69% आरक्षण इसलिए बचा हुआ है क्योंकि इसे नौंवीं अनुसूची में डाल दिया गया, जिससे अदालत में इसकी वैधता चुनौती देना मुश्किल हो जाता है। भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि सामान्य स्थिति में जाति-आधारित आरक्षण 50% से ज़्यादा नहीं हो सकता। लेकिन कुछ राज्यों ने इस सीमा को पार करते हुए 50% से अधिक आरक्षण की नीति लागू कर रखी है।

MP में OBC आरक्षण बढ़ने पर क्या होगा समीकरण?
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में मौजूदा दौर में आरक्षण कि स्थिति कुछ इस प्रकार है…

    SC (अनुसूचित जाति) – 16%
    ST (अनुसूचित जनजाति) – 20%
    OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) – पहले 14%, जिसे बढ़ाकर 27% करने का प्रस्ताव है​​​

क्या 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देना संवैधानिक है?
ऐसे में अगर 27% आरक्षण लागू होता है तो मध्यप्रदेश में कुल आरक्षण बढ़कर 63% पहुंच जाएगा। लेकिन संवैधानिक रूप से यह तभी टिक पाएगा जब सरकार विशेष परिस्थितियों का ठोस तर्क कोर्ट में साबित करे। वरना इसकी वैधता सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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