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तीरथगढ़ मोटल को मिली नई संजीवनी: निजी संस्था को 30 साल की लीज पर सौंपा गया

जगदलपुर

बस्तर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल तीरथगढ़ जलप्रपात पर स्थित पर्यटन विभाग का वर्षों से बंद पड़ा मोटल अब 30 वर्षों के लिए एक निजी संस्था को लीज पर सौंपा गया है. यह कदम उस मोटल को फिर से शुरू करने की दिशा में उठाया गया है, जो कभी चित्रकोट की तर्ज पर पर्यटकों को सुविधाएं देने के उद्देश्य से बनाया गया था, लेकिन कुप्रबंधन और उदासीनता के चलते कभी सक्रिय नहीं हो सका. वर्तमान में मोटल में रिनोवेशन का कार्य जोरों पर है. भवन की मरम्मत के साथ-साथ परिसर में नई सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, ताकि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान आने वाले पर्यटकों को रात्रि विश्राम व भोजन की सुविधा मिल सके.

शुरू होने के एक वर्ष बाद ही हो गया था बंद
दस साल पहले चित्रकोट की तर्ज पर तीरथगढ़ में भी पर्यटकों के लिए ठहरने और भोजन की व्यवस्था को लेकर पर्यटन विभाग ने एक बहुप्रतीक्षित योजना बनाई थी. लेकिन निर्माण के दौरान ही यह भवन कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया. कई सालों बाद जब इमारत तैयार हुई, तब भी संचालन को लेकर विभाग ने रुचि नहीं दिखाई. नतीजतन, मोटल उद्घाटन के एक साल के भीतर ही बंद हो गया. इसके बाद इसे एक स्वसहायता समूह को संचालन के लिए सौंपा गया, लेकिन लगातार घाटे के चलते उन्होंने भी एक साल के भीतर हाथ खींच लिए.

वर्षों से लटका रहा ताला, अब फिर से होगा आबाद
कई सालों से यह मोटल बंद पड़ा था और खंडहर में तब्दील हो चुका था. सीजन के समय भी इसमें सुविधाओं की कमी के चलते पर्यटक नहीं रुकते थे. अब पर्यटन विभाग ने इसे एक निजी संस्था को 30 वर्षों के लिए लीज पर देकर फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है. बहुत जल्द ही यह मोटल आबाद हो सकेगा.

स्थानीय ग्रामीण लिंगराज, हेमवती बघेल, पूर्णिमा का मानना है कि मोटल के चालू होने से न केवल पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. वहीं पिंटू का कहना है कि ’’अगर निजी संस्था इसे सही तरीके से चलाती है, तो यह कांगेर घाटी सहित तीरथगढ़ पर्यटन को नई दिशा दे सकता है.’

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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