राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

पूर्वोत्तर के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण आवश्यक: ज्योतिरादित्य सिंधिया

नई दिल्ली
केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी लाने के लिए यूनिफाइड एप्रोच की आवश्यकता है। केंद्रीय मंत्री ने इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी के गैप को भरने के लिए पांच सुझाव दिए, जिसमें एक क्षेत्रीय मास्टर प्लान तैयार करके पूर्वोत्तर क्षेत्र की इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रिड को मिलाना, एनईआर के लिए प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के लिए एक निगरानी तंत्र की स्थापना, विभिन्न कर और अन्य रियायतों की पेशकश के माध्यम से मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क के लिए नीति को आगे बढ़ाना, पड़ोसी देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सीमा पार कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना और डिजिटल कनेक्टिविटी और पावर ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना है।

‘पूर्वोत्तर क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी’ पर हाई-लेवल टास्क फोर्स (एचएलटीएफ) में बोलते हुए, सिंधिया ने आगे कहा कि भविष्य की परियोजनाओं की बेहतर योजना बनाने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र की सभी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर मैप किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने सभी पूर्वोत्तर राज्यों से कहा कि वे अपनी स्टेट लॉजिस्टिक्स पॉलिसी को मंत्रालय द्वारा देश भर में सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर तैयार किए गए मानकों के अनुसार, अपटेड करें। उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्र के तीव्र आर्थिक विकास के लिए परिवहन गलियारों के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में औद्योगिक क्लस्टर विकसित किए जा सकते हैं।

एचएलटीएफ बैठक में हाईवे, रेलवे, जलमार्ग, वायुमार्ग, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल संपर्क जैसे सेक्टर्स में पूर्वोत्तर क्षेत्र में मौजूदा क्रिटिकल गैप पर ध्यान केंद्रित किया गया। पूर्वोत्तर में इन्फ्रास्ट्रक्चर अंतर को पाटने के लिए, एचएलटीएफ बैठक में एक व्यापक इन्फ्रास्ट्रक्चर मास्टरप्लान तैयार करने का निर्णय लिया गया। यह योजना सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के परामर्श से विकसित की जाएगी, जिससे क्षेत्रीय विकास के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण सुनिश्चित होगा।

बैठक के दौरान चर्चा के प्रमुख बिंदुओं में राज्य-विशिष्ट बाधाओं और चुनौतियों की पहचान, महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी गैप और प्राथमिकता वाली इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरतें, पूंजी निर्माण के लिए राज्य बजट और राष्ट्रीय निवेश का एकीकरण और 2047 तक विकसित पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक रोडमैप का कार्यान्वयन शामिल था। इस वर्ष की शुरुआत में केंद्र ने आठ हाई-लेवल टास्क फोर्स (एचएलटीएफ) का गठन किया था, जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व पूर्वोत्तर राज्य के एक मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता है, जिसमें केंद्रीय मंत्री और अन्य राज्यों के तीन मुख्यमंत्री सदस्य होते हैं।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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