राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय में थायराइड विकार एवं मोटापे की विशेषज्ञ इकाई शुरू

भोपाल 
भोपाल स्थित शासकीय होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय चिकित्सालय परिसर में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में हाइपोथायरायडिज्म एवं ओबेसिटी के लिए विशेषज्ञ इकाई की स्थापना की गई है। इस इकाई की स्थापना का उद्देश्य, थायराइड ग्रंथि की अनियमितताएं और उससे होने वाले मोटापे में होम्योपैथी की कारगर दवाओं के माध्यम से अनुसंधान एवं उपचार किया जाना है।

इस इकाई के लिए भारत सरकार के केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सकों के अतिरिक्त सहायक चिकित्सकों एवं लैब विशेषज्ञों की एक टीम, स्थानीय होम्योपैथिक चिकित्सालय में उक्त कार्यों के लिए उपलब्ध है। यह इकाई थायराइड ग्रंथि की अनियमिताओं से उत्पन्न होने वाले रोगों के त्वरित उपचार एवं इन रोगों के कारण आने वाले दीर्घकालिक प्रभाव पर केंद्रित कार्य करेगी। यह इकाई प्रतिदिन प्रातः 10 से दोपहर एक बजे तक उक्त रोगियों के पंजीयन एवं उपचार की सेवाएं प्रदान करेगी। इसके लिए दूरभाष क्रमांक 0755 299 2972 पर समस्त जानकारी प्रतिदिन प्रातः 10 बजे से शाम 4 बजे तक उपलब्ध रहेगी। इच्छुक लाभार्थियों द्वारा अपना दूरभाष दिए जाने पर विशेषज्ञों द्वारा संपर्क किया जाएगा। समस्त उपचार शासकीय स्तर पर किया जाएगा। उपचार में होम्योपैथिक दवाओं के अतिरिक्त व्यायाम एवं आहार विशेषज्ञों द्वारा भी संपूर्ण स्वास्थ्य के लक्ष्य के साथ कार्य किया जाएगा।

प्रधानाचार्य डॉ. एस.के. मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में इस प्रकार की हाइपोथायरायडिज्म से जनित मोटापे की यह प्रथम विशेषज्ञ इकाई है, जो भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के माध्यम से स्थापित मापदंडों पर कार्य करेगी। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति प्रकृति के सिद्धांतों के अनुरूप शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमताओं को विकसित करके मनुष्य को दीर्घकालीन स्वास्थ्य एवं उच्च गुणवत्ता का जीवन प्रदान करती है। प्रायः रासायनिक दवाओं के उपयोग के पश्चात भी हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों का वजन बढ़ता चला जाता है, जो भविष्य में हड्डियों एवं जोड़ों की गंभीर समस्याओं को जन्म देता है। होम्योपैथी चिकित्सा के माध्यम से हाइपोथाइरॉएडिज्म के मरीजों को उपचारित करके, इस प्रकार की जटिलताओं से बचाया जा सकता है और उनके भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है।

नोडल अधिकारी डॉ. जूही गुप्ता ने बताया कि यह समस्या विशेषकर महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है और समय रहते उपचार प्राप्त न करने के कारण 50 वर्ष के उपरांत महिलाएं हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं से बहुत बड़ी संख्या में प्रभावित होती हैं। यदि समय रहते प्राकृतिक एवं होम्योपैथी उपचारों से इसका नियंत्रण किया जाए तो व्यक्ति दीर्घायु होने के साथ-साथ रासायनिक पदार्थ से दूर रहकर भी स्वस्थ रह सकता है। वास्तविकता यह है कि वर्तमान परिवेश में जीवन के सामान्य परिवर्तन जैसे गर्भावस्था में होने वाले सूक्ष्म हार्मोनल परिवर्तन को भी रोग मानकर उनके लिए रासायनिक उपचार प्रदान किए जाते हैं, जिसके कारण वह महिला पूरे जीवन रसायनों पर आश्रित हो जाती है और एक कुचक्र में फंस जाती है जिससे निकलना असंभव हो जाता है। इस कार्य का उद्देश्य है कि जिन लोगों में सामान्य परिवर्तन एवं होम्योपैथी दवा के साथ उपचार किया जा सकता है, उनके लिए एक विशेषज्ञ इकाई के माध्यम से, उन्हें जीवन यापन के लिए संपूर्ण ज्ञान प्रदान किया जाए।

शासकीय होम्योपैथी चिकित्सालय के अतिरिक्त आयुष मंत्रालय भारत सरकार की संस्था द्वारा देश के पांच अन्य शहरों में इस प्रकार की विशेषज्ञ इकाई की स्थापना की गई है और इन संयुक्त प्रयासों से हाइपोथायरायडिज्म एवं उससे संबंधित मोटापे का कारगर उपाय एवं उपचार प्रदान करने की अद्वितीय पहल की गई है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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