राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

‘प्रचंड’ से अब ‘महाप्रचंड’ की उड़ान! HAL को मिला अगली पीढ़ी के अटैक हेलीकॉप्टर का जिम्मा

नई दिल्ली

भारतीय सेना और वायुसेना की ताकत को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बट हेलीकॉप्टर (LCH) प्रचंड को बड़ा अपग्रेड करेगी. यह अपग्रेड हेलीकॉप्टर की मारक क्षमता और बचाव की शक्ति को कई गुना बढ़ा देगा.

लगभग 62,700 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में HAL 156 हेलीकॉप्टर बनाएगी, जिनमें से 90 सेना के लिए और 66 वायुसेना के लिए होंगे. डिलीवरी 2027-28 से शुरू होगी और 2033 तक पूरी हो जाएगी. 

प्रचंड LCH का इतिहास: स्वदेशी हेलीकॉप्टर की शुरुआत

LCH प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है, जो HAL ने डिजाइन और विकसित किया. इसका विकास 2006 में शुरू हुआ, जब कारगिल युद्ध (1999) में ऊंचाई वाले इलाकों के लिए अटैक हेलीकॉप्टर की जरूरत महसूस हुई. Mi-17 जैसे यूटिलिटी हेलीकॉप्टर को लड़ाई के लिए इस्तेमाल किया गया था, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था.

प्रोटोटाइप 2010 में रोल आउट हुआ. 2022 में वायुसेना ने इसे औपचारिक रूप से शामिल किया (143 हेलीकॉप्टर यूनिट 'धनुष' में जोधपुर पर). नाम 'प्रचंड' का मतलब 'तीव्र/उग्र' है. अभी तक 15 लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन (LSP) प्रचंड हेलीकॉप्टर डिलीवर हो चुके हैं- 10 वायुसेना को और 5 सेना को. ये एयर-टू-एयर मिसाइल, रॉकेट्स और टॉरेट गन से लैस हैं.

28 मार्च 2025 को कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 156 प्रचंड LCH के ऑर्डर को मंजूरी दी. HAL के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन हुए. यह FY 2025-26 में सबसे बड़ा डिफेंस डील है. HAL के टुमकुरु फैक्टरी (कर्नाटक) में उत्पादन होगा, जो भारत का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर प्लांट है. यहां सालाना 30 हेलीकॉप्टर बन सकेंगे. जरूरत पर 100 तक बढ़ाया जा सकता है.

क्या अपग्रेड… 7 नए सिस्टम्स और 4 बड़े बदलाव

नई सीरीज के प्रचंड में 7 नए सिस्टम्स और 4 प्रमुख अपग्रेड्स होंगे, जो इसे दुनिया के सबसे घातक हेलीकॉप्टर्स में बदल देंगे. ये अपग्रेड्स फायरपावर बढ़ाएंगे और दुश्मन के खिलाफ बचे रहने की क्षमता देंगे.

7 नए सिस्टम्स

    लेजर-गाइडेड रॉकेट: लेजर से निर्देशित, जो सटीक हमले करेंगे.
    न्यूक्लियर डिटेक्शन कैपेबिलिटी: न्यूक्लियर हमलों का पता लगाने के लिए.
    डायरेक्टेड इंफ्रारेड काउंटरमेजर्स: इंफ्रारेड मिसाइलों को भटकाने के लिए.
    डेटा लिंक: सुरक्षित संचार के लिए, जो अन्य विमानों या ग्राउंड स्टेशनों से जोड़ेगा.
    ऑब्स्टेकल अवॉइडेंस सिस्टम: बाधाओं (जैसे पहाड़ या तारें) से बचने के लिए ऑटोमेटिक सेंसर.
    मॉडर्न इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम: दुश्मन रडार को जाम करेगा और मिसाइलों को चकमा देगा.
    स्वदेशी एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल: दुश्मन के ग्राउंड टारगेट्स को सटीक निशाना लगाने के लिए, जैसे टैंक या बंकर.

4 प्रमुख अपग्रेड्स

    एडवांस्ड आर्मर: दुश्मन हथियारों से ज्यादा सुरक्षा.
    बेहतर इंजन और एवियोनिक्स: ऊंचाई पर ज्यादा पावर और सटीकता.
    इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पॉड: बेहतर सेंसर से रात में या खराब मौसम में निगरानी.
    हेलमेट-माउंटेड पॉइंटिंग सिस्टम: पायलट हेलमेट से ही हथियार निर्देशित कर सकेगा, जो निशाना लगाना आसान बनाएगा.

ये अपग्रेड्स प्रचंड को ऊंचाई (5,000 मीटर से ऊपर) पर उड़ाने के लिए आदर्श बनाएंगे. यह दुश्मन एयर डिफेंस सिस्टम नष्ट करने, ड्रोन/धीमी विमानों को मार गिराने, बंकर तोड़ने, काउंटर-टेरर ऑपरेशंस और ग्राउंड फोर्सेस को सपोर्ट करने के लिए डिजाइन है.

उत्पादन और डिलीवरी: HAL का प्लान

HAL टुमकुरु फैक्टरी में उत्पादन करेगी. डिलीवरी 2027-28 से शुरू होगी. 2033 तक पूरे 156 हेलीकॉप्टर डिलीवर हो जाएंगी. पहले 3 साल में 30 हेलीकॉप्टर/वर्ष फिर तेजी से. यह प्रोजेक्ट 250 से ज्यादा भारतीय कंपनियों को जोड़ेगा और 8,500 से ज्यादा नौकरियां पैदा करेगा. 92% कॉन्ट्रैक्ट्स घरेलू उद्योग को दिए जाएंगे.

अभी 15 LSP प्रचंड तैनात हैं, जो लद्दाख और पूर्वोत्तर में परीक्षण में सफल रहे. जनवरी 2025 में एक HAL ध्रुव क्रैश के बाद प्रचंड फ्लीट को अस्थायी रूप से ग्राउंड किया गया था, लेकिन जून 2025 में सब-कॉम्पोनेंट्स बदलकर फिर से उड़ान भरने को मंजूरी मिली.

महत्व: सेना और वायुसेना की ताकत में इजाफा

यह डील भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता को मजबूत करेगी. प्रचंड ऊंचाई वाले इलाकों (जैसे सियाचिन, लद्दाख) के लिए बेस्ट है. 90 सेना को और 66 वायुसेना को मिलने से हेलीकॉप्टर फ्लीट कई गुना बढ़ेगा. यह 'मेक इन इंडिया' का प्रतीक है, जो रोजगार और अर्थव्यवस्था को बूस्ट देगा.

2020-22 के चीन-भारत संघर्ष में प्रोटोटाइप ने लद्दाख में सशस्त्र गश्त की, जो इसकी क्षमता साबित करता है. नवंबर 2024 में सेना ने पूर्वोत्तर में हाई-ऑल्टिट्यूड फायरिंग की. यह हेलीकॉप्टर दुश्मन पनडुब्बियों, ड्रोन और टैंकों से लड़ने में सक्षम है.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button